Loksabha election 2024: चुनाव प्रचार सामग्री पर मुद्रक-प्रकाशक का नाम और पता अनिवार्य, निर्देश जारी 

Loksabha election 2024: चुनाव प्रचार सामग्री पर मुद्रक-प्रकाशक का नाम और पता अनिवार्य, निर्देश जारी 

लखनऊ, अमृत विचार। भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रचार सामग्री पर मुद्रक व प्रकाशक का नाम व पता अनिवार्य कर दिया है। विज्ञापन करने वाली एजेंसियों को जवाबदेह बनाने के तहत यह कार्रवाई की गई है। इस सिलसिले में आयोग ने निर्देश जारी किया है। आयोग के निर्देश पर मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने जिला निर्वाचन अधिकारियों को इसे सख्ती से लागू कराने के निर्देश दिए हैं।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि आयोग के निर्देश के तहत सभी प्रकार की चुनाव प्रचार सामग्री पर मुद्रक और प्रकाशक का नाम व पता का अनिवार्य रूप से उल्लेख करना होगा। यह कदम चुनाव प्रक्रिया में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए उठाया गया है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 127 ए के तहत चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पैम्फलेट, पोस्टर या बैनर के मुद्रण में मुद्रक और प्रकाशक के नाम और पते के बिना मुद्रित नहीं किया जा सकता।

आयोग ने यह निर्देश उन शिकायतों के बाद जारी किया, जिसमें दावा किया गया था कि नगर निकाय के नियंत्रण वाले होर्डिंग लगाने के स्थानों पर बिना प्रकाशक और मुद्रक की पहचान वाले होर्डिंग्स लगे हुए हैं। इस निर्देश के साथ आयोग ने अब 'आउटडोर मीडिया’ पर प्रकाशित राजनीतिक विज्ञापनों के लिए स्थान किराए पर देने वाले सभी स्थानीय प्रशासन व नगरीय निकायों के लाइसेंसधारियों-ठेकेदारों की जवाबदेही भी तय कर दी है। सभी नगरीय निकायों व स्थानीय प्रशासन जो कि होर्डिंग्स, पोस्टर, बैनर लगवाने के लिए जिम्मेदार हैं, को आयोग के निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन करना होगा।

मतदाताओं को पता होगा विज्ञापन करने वाले का नाम
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि चुनाव सामग्री की प्रिटिंग में शामिल सभी पक्षों को अधिक सतर्क रहना होगा और उन्हें अपनी जवाबदेही का पूर्ण रूप से पालन करना होगा। इससे निर्वाचन प्रक्रिया में अधिक स्पष्टता आएगी और मतदाताओं को उचित जानकारी प्राप्त हो सकेगी। निर्वाचन आयोग का यह निर्देश चुनावी प्रक्रिया को और अधिक जवाबदेह, पारदर्शी और उसे नैतिक बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इससे चुनाव प्रचार में शामिल सभी मुद्रित सामग्री की उत्पत्ति और वित्तपोषण के स्रोतों की पहचान हो सकेगी, जो लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है।

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