अल्मोड़ा: पैदल चल डोली से रोगी को पहुंचाया अस्पताल, नहीं मिले डॉक्टर 

अल्मोड़ा: पैदल चल डोली से रोगी को पहुंचाया अस्पताल, नहीं मिले डॉक्टर 

अल्मोड़ा, अमृत विचार। लोकसभा चुनावों के इस सियायी दंगल में जहां सियासत पाने के लिए राजनीति दल मतदाताओं को तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराने के दावे क्यों ना कर रहे हों। लेकिन सच्चाई यह है कि आज भी अल्मोड़ा लोकसभा के अनेक गांवों में रहने वाले लोगों बेबसी सियासतदारों के इन झूठों वायदों की पोल भी खोल रही है।

ऐसा ही एक वाकया विकास खंड में भैंसियाछाना में सामने आया। जहां सड़क ना होने के कारण ग्रामीण एक गंभीर रोगी को कई किलोमीटर पैदल चल डोली पर रखकर अस्पताल पहुंचे। लेकिन अस्तपाल में चिकित्सक ही तैनात नहीं थे। मजबूरी में ग्रामीणों की बेबसी ने उन्हें बारह किमी दूर जाकर रोगी को दूसरे अस्पताल में भर्ती कराने पर मजबूर कर दिया। 

जिले के भैंसियाछाना विकास खंड के दूरस्थ गांव पतलचौरा निवासी 70 वर्षीय तिलक राम की तबीयत रविवार की रात करीब डेढ़ बजे के आसपास काफी बिगड़ गई। लगातार हो रही उल्टी के रोगी की हालत बिगड़ती चली गई तो तड़के गांव के लोगों ने उन्हें अस्पताल ले जाने का निर्णय लिया। गांव में सड़क ना होने के कारण रोगी को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए डोली की व्यवस्था की गई और ग्रामीण रोगी को डोली पर बैठाकर कनारीछीना अस्पताल की ओर निकल पड़े।

कई घंटें रपटीले रास्तों पर चलने के बाद जैसे तैसे सुबह ग्रामीण कनारीछीना अस्पताल पहुंचे लेकिन यहां उन्हें चिकित्सक नसीब नहीं हुए। रोगी की हालत खराब होते देख ग्रामीणों ने उसे प्राथमिक चिकित्सालय सेराघाट ले जाने का निर्णय लिया। जो वहां से करीब बारह किमी दूर था। जैसे तैसे ग्रामीण अस्पताल पहुंचे और रोगी को प्राथमिक उपचार दिया जा सका। सामाजिक कार्यकर्ता व रीठागाड़ी दगड़ियों संघर्ष समिति के अध्यक्ष प्रताप सिंह नेगी ने बताया कि विकास खंड का पतलचौरा अनुसूचित बाहुल्य गांव है।

लेकिन यहां आज तक सड़क नहीं जा पाई है। ऐसा ही हाल आसपास के रिम, चिमचुआ व पीपलखेत गांवों का भी है। सड़क ना होने कारण इन गांवों के लोग रोगियों और गर्भवती महिलाओं को डोली में बैठाकर अस्पताल ले जाते हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर कनारीछीना में एक अस्पताल खोला गया है।

लेकिन स्वीकृति के बाद भी आज तक उसका भवन नहीं बन पाया है। किराए के भवन में चल रहे अस्पताल का किराया ना मिलने के कारण कुछ महीनों पहले अस्पताल के भवन स्वामी ने एक बार अस्पताल पर ताला भी जड़ दिया था। इस अस्पताल में कोई चिकित्सक भी तैनात नहीं है। नेगी ने बताया कि यही कारण है कि इस बार इन गांवों के लोगों ने चुनाव में भागीदारी ना करने का संकल्प लेते हुए चुनाव बहिष्कार का ऐलान भी किया है।