विदेशी सरजमीं पर बरेली के सपूत ने लहू से लिखी थी बहादुरी की दास्तां

विदेशी सरजमीं पर बरेली के सपूत ने लहू से लिखी थी बहादुरी की दास्तां

शिवांग पांडेय, बरेली। 1980 के दशक में श्रीलंका गृहयुद्ध की आग में जल रहा था। तमिल राष्ट्रवादी समूह लिब्रेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) ने जाफना द्वीप पर कब्जा कर रखा था, जिस कारण श्रीलंका की सेना एलटीटीई का मुकाबला नहीं कर पा रही थी। ऐसे में श्रीलंका की सरकार ने भारत से मदद की …

शिवांग पांडेय, बरेली। 1980 के दशक में श्रीलंका गृहयुद्ध की आग में जल रहा था। तमिल राष्ट्रवादी समूह लिब्रेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) ने जाफना द्वीप पर कब्जा कर रखा था, जिस कारण श्रीलंका की सेना एलटीटीई का मुकाबला नहीं कर पा रही थी। ऐसे में श्रीलंका की सरकार ने भारत से मदद की गुहार लगाई थी। भारत ने ऑपरेशन पवन के तहत श्रीलंका में गृहयुद्ध खत्म करने के लिए शांति सेना भेजी थी।

बरेली के सेकेंड लेफ्टिनेंट अमरदीप सिंह बेदी भी इस सेना का हिस्सा थे। भारतीय सैनिकों और एलटीटीई उग्रवादी संगठन के बीच 11-25 अक्टूबर 1987 तक भीषण लड़ाई हुई थी। इसमें अदम्य साहस का परिचय देते हुए अमरदीप सिंह बेदी वीरगति को प्राप्त हो गए थे। उनके अलावा करीब 1200 भारतीय सैनिक भी इस युद्ध में शहीद हुए थे। ऑपरेशन पवन की आज 36वीं वर्षगांठ है।

अपने बड़े भाई की शहादत को याद करते हुए कमलजीत सिंह का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। वह बताते हैं, हम सिविल लाइंस इलाके में रहते थे। पापा का नाम एनएमएस बेदी और मां का नाम सुरजीत कौर है। अमरदीप का जन्म 25 जून 1966 को हुआ था। हमने प्रारंभिक शिक्षा हार्टमैन स्कूल से ली थी। बचपन से ही अमरदीप को गाने का बहुत शौक था। उनकी सुरीली आवाज के कारण ही हार्टमैन कालेज में उन्हें नाइटिंगल आफ हार्टमैन कालेज के खिताब से नवाजा गया था। इसके बाद बरेली कालेज से प्रथम श्रेणी में स्नातक किया।’

वह बताते हैं, ‘अमरदीप को बचपन से ही भारतीय सैनिकों के साहस और बलिदान के किस्से प्रेरित करते थे। यही वजह थी कि उन्होंने एनएनसी ज्वाइन कर ली थी। फिर वर्ष 1985 में ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल (ओटीएस) चेन्नई में दाखिला लिया। ओटीएस चेन्नई में एक साल के कड़े प्रशिक्षण के बाद 1986 में उन्हें सेना में बतौर अधिकारी कमीशन प्राप्त हुआ। इसके बाद भारतीय थल सेना के विख्यात मद्रास इंजीनियरिंग ग्रुप रेजिमेंट में वह सेकेंड लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त हुए। सेना में कमीशन प्राप्त करने के बाद वे यंग लीडरशिप कोर्स(वाइएलसी) के लिए भी चुने गए। वर्ष 1987 में उनकी यूनिट को ऑपरेशन पवन में भाग लेने के लिए जाफना (श्रीलंका) भेजा गया।’

वह बताते हैं, ‘जाफना में एक सर्च आपरेशन के दौरान खाड़ी पार करते समय पहले से घात लगाए बैठे उग्रवादी संगठन लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (एलटीटीई) ने अमरदीप की टीम पर हमला कर दिया। अपने दो साथियों को बचाने के लिए अमरदीप ने अपनी जान की भी परवाह नहीं की। दुश्मन पर गोलियां बरसाते हुए वह उग्रवादियों के करीब 70 मीटर नजदीक पहुंच गए।

कम दूरी का फायदा उठाकर उग्रवादियों ने अचानक उन पर मशीनगन से फायर कर दिया जिसमें वह शहीद हो गए। अपनी जान गंवाकर अमरदीप ने दोनों साथियों को जीवनदान दिया।’ उनके इसी अदम्य साहस और बलिदान के लिए वर्ष 1990 में अमरदीप सिंह बेदी को मरणोपरांत वीर चक्र से नवाजा गया। बरेली शहर का दुर्भाग्य है कि अमरदीप सिंह बेदी जैसे वीर सपूत की गाथा उनके अपने शहर में विरले ही जानते हैं।

शहादत के बाद पहुंचा अंतिम खत
कमलजीत सिंह बताते हैं, ‘ऑपरेशन पवन में जब अमरदीप सिंह सर्चिंग ऑपरेशन के लिए जाने वाले थो तो उन्होंने परिवार के लिए एक खत लिखा था। उन्होंने खत में लिखा था, ‘मैं सर्च ऑपरेशन पर जा रहा हूं। मेरी परवाह मत करना। जल्द ही ऑपरेशन खत्म करके वापस घर आऊंगा।’ अमरदीप का यह खत हमें उनकी शहादत के बाद मिला।’

भारतीय शूरवीरों के सम्मान में बरेली कालेज परिसर में एक शहीद स्तंभ बनाया गया है। महाविद्यालय के साथ ही जिले के लिए भी यह गर्व की बात है कि यहां के एक छात्र ने ऑपरेशन पवन में भाग लेकर भारत के गौरव के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। वीर चक्र विजेता सेकेंड लेफ्टिनेंट अमरदीप सिंह बेदी के बारे में जानकारी जुटाकर संग्रहालय में संग्रहित कर छात्र-छात्राओं को समय समय पर प्रेरित किया जाएगा। -डा. वंदना शर्मा, चीफ प्रॉक्टर,बरेली कालेज बरेली

21 यूपी एनसीसी बटालियन को अपनी विरासत पर गर्व है कि बड़ी संख्या में भारतीय सेना को अधिकारी देती रही है। सेकेंड लेफ्टिनेंट एएस बेदी की शहादत ने यहां प्रशिक्षण पाने वाले कैडेटों के मन को प्रभावित किया है। वह एक प्रेरणा हैं। उनके शौर्य की जानकारी लोगों को नहीं है लेकिन सेना में कभी भी मान्यता और प्रसिद्धि के लिए तरसते नहीं हैं। देश के लिए एक सैनिक अपना जीवन समर्पित कर देता है। यह हमारी परंपरा रही है और भावी पीढ़ी भी इसकी वाहक बनेगी। मुझे खुशी है कि मैं भी 21 एनसीसी बटालियन का हिस्सा रहा। एक कैडेट के तौर पर भी और इसी बटालियन के कमांडिंग अफसर के तौर पर भी। -कर्नल अनुराग शर्मा, कमांडिंग अफसर 21 यूपीएनसीसी, बरेली कालेज बरेली।

ताजा समाचार

मुरादाबाद: हत्याकांड में सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर की भूमिका संदिग्ध, शुरू हुई जांच
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कई ट्रेनें लेट, जमा हुई भीड़, पुलिस ने कहा- भगदड़ जैसे बने हालात, रेलवे ने किया इनकार
रामपुर: वीर बहादुर स्पोटर्स कॉलेज गोरखपुर ने रायबरेली को 6-0 से दी करारी शिकस्त
शाहजहांपुर: सहकारी समिति के गोदाम में सचिव का शव फंदे से लटका मिला
चेन्नई सुपर किंग्स ने मुंबई इंडियंस को चार विकेट से हराया, ऋतुराज और रचिन ने जड़े अर्धशतक
दूसरों का स्वास्थ्य सुधारने में बिगड़ रही नर्सों के बच्चों की सेहत, बढ़ रहा आक्रोश, जानिए क्या बोले राजकीय नर्सेज संघ के महामंत्री