उत्तर प्रदेश धर्मांतरण अधिनियम वैवाहिक प्रकृति वाले सभी रिश्तों के लिए आवश्यक: हाईकोर्ट

उत्तर प्रदेश धर्मांतरण अधिनियम वैवाहिक प्रकृति वाले सभी रिश्तों के लिए आवश्यक: हाईकोर्ट

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अंतर धार्मिक जोड़े द्वारा दाखिल सुरक्षा याचिका पर सुनवाई करते हुए अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि उत्तर प्रदेश धर्मांतरण अधिनियम न केवल विवाह के उद्देश्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह विवाह की प्रकृति के सभी रिश्तों में भी आवश्यक है, इसलिए विवाह या लिव-इन रिलेशनशिप की प्रकृति में संबंध पर धर्मांतरण अधिनियम लागू होगा। 

उक्त आदेश न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल की एकलपीठ ने अंतर धार्मिक जोड़े द्वारा दाखिल सुरक्षा याचिका को खारिज करते हुए पारित किया। उन्होंने अपने आदेश में आगे कहा कि जोड़े ने उक्त अधिनियम के प्रावधानों के तहत किसी भी धर्मांतरण के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन नहीं किया। 

मालूम हो कि वर्ष 2021 में उपरोक्त अधिनियम ने अंतर धार्मिक जोड़ों के लिए इसके प्रावधानों के अनुसार धर्म परिवर्तन करना अनिवार्य कर दिया है। वर्तमान मामले में याचियों ने अधिनियम की धारा 8 और 9 के अनुसार धर्म परिवर्तन के लिए आवेदन नहीं किया। मामले के अनुसार मुस्लिम महिला और उसके साथी हिंदू पुरुष ने इस साल के जनवरी माह में आर्य समाज के अनुष्ठानों के अनुसार शादी कर ली, लेकिन उनकी स्वतंत्रता और जीवन के लिए विपक्षी खतरा उत्पन्न कर रहा था, जिससे सुरक्षा की प्रार्थना करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई।

यह भी पढे़ं: प्रयागराज: जिले में निराश्रित गोवंश को संरक्षण प्रदान का योगी सरकार का सौ फीसदी लक्ष्य हुआ पूरा, जनता को मिली इस समस्या से निजात!