विश्व टीबी दिवस: हर साल 12 लाख लोगों की चली जाती है टीबी से जान

भारत में 28 लाख लोग एक साल में हो गये संक्रमित

विश्व टीबी दिवस: हर साल 12 लाख लोगों की चली जाती है टीबी से जान

लखनऊ, अमृत विचार। दुनिया भर में 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस बीमारी को लेकर लोगों में जागरुकता लाने के लिए इस दिन जगह-जगह कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। क्योंकि इस बीमारी को समाप्त करने के लिए इलाज के साथ जागरुकता की भी जरूरत है।

टीबी का संक्रमण और इससे होने वाली मौतों के बारे में बात करें तो हर साल पूरी दुनिया में करीब 12 लाख लोग इससे जांन गवां देते हैं। साल 2022 में भारत के अंदर करीब 28 लाख लोग टीबी से ग्रसित हुये। जबकि 24.2 लाख टीबी के मामले दर्ज किये गये। वहीं 2021 में देश में 22 करोड़ से ज्यादा लोगों की टीबी की प्रारम्भिक जाँच की गयी जिसमें 1.39 करोड़ बलगम की माइक्रोस्कोपी जाँच और 58 लाख CBNAAT की जाँच शामिल थी। यह जानकारी किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय स्थित पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रो. वेद प्रकाश ने दी है।

प्रो.वेद प्रकाश ने बताया कि हॉ ! हम टीबी को समाप्त कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए सभी को मिलकर एक साथ काम करना होगा। टीबी के उन्मूलन के लिए विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को जागरूक करके उन्हें इस गम्भीर बीमारी से बचाया जा सकता है। जिन पंचायतों में टीबी के रोग से ग्रसित मरीजों की संख्या ज्यादा है उन्हें चिकित्सकीय संथानों की तरफ से गोद लेकर उनकी मदद की जा सकती है। पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने बीते कई वर्षो में टीबी के मामले वाले कई पंचायतो को गोद लेकर उन्हे इस बीमारी से मुक्त किया है। 

टीबी समाप्त करने की रणनीति
 
प्रो. वेद प्रकाश ने बताया कि प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण है कि साल 2025 तक भारत टीबी मुक्त हो सके। पूरे विश्व में टीबी से ग्रसित मरीजों के एक चैथाई मरीज भारत में हैं। वहीं पूरे विश्व में टीबी से होने वाली सभी मृत्यु में से 29 प्रतिशत मृत्यु भारत में होती है। लोगों यदि कोविड के अनुरूप व्यवहार को अपनाते हैं तो टीबी की रोकथाम में भी काफी मदद मिल सकती है क्योंकि ये दोनों वायुजनित रोग हैं। टीबी के खात्में के लिए टीबी उन्मूलन के लिए एक सक्षम वातावरण का निर्माण करना और उसे मजबूत बनाना। बायोमेडिकल, व्यवहारिक और सामाजिक हस्तक्षेप का उपयोग करके अतिसंवेदनशील आबादी में टीबी के प्रसार को रोकना।  टीबी के सभी मरीजों का पता लगाएं। टीबी के सभी मरीजों का इलाज करें।

विश्व टीबी दिवस के अवसर पर पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग ने जनजागरुकता के कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें विभाग के एचओडी प्रो. (डॉ.) वेद प्रकाश, डा. सचिन कुमार, डा. मोहम्मद आरिफ, डॉ. अतुल तिवारी, डॉ. मृत्युन्जय सिंह, डॉ. अनुराग त्रिपाठी समेत कई लोग उपस्थित रहे। 

टीबी महत्वपूर्ण तथ्य 

-वर्ष 2000 से अब तक वैश्विक प्रयासों के द्वारा टीबी से साढे़ सात करोड लोगों की जान बचाई जा चुकी है।
- टीबी मुक्त अभियान के तहत लगभग 40 हजार निक्षयमित्र देश भर में 10.45 लाख टीबी मरीजों की देख-भाल कर रहें है।
-मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट टीबी (एमडीआर-टीबी) एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट और स्वास्थ्य सुरक्षा को खतरा है। 
- पिछले वर्षों की तुलना में 2020 और 2021 में इलाज शुरू करने वाले एक्सडीआर-टीबी रोगियों की संख्या में भी कमी देखी गई।
- 2020 और 2021 में इलाज पर रखे गए एमडीआर रोगियों की संख्या में 14 प्रतिशत और 9 प्रतिशत की कमी आई।

- दुनिया भर में संक्रामक रोग से होने वाली मौत का एक प्रमुख कारण तपेदिक (टीबी)है, इसके बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है।
- यह वार्षिक आयोजन 1882 की उस तारीख की याद दिलाता है जब डॉ. रॉबर्ट कोच ने माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैसिलस, की खोज की घोषणा की थी।
- विश्व क्षय रोग (टीबी) दिवस, 24 मार्च 2024, का थीम पिछले वर्ष की भाँति ही:- “हाँ! हम टीबी को खत्म कर सकते हैं।“
- टीबी अभी भी दुनिया की सबसे घातक बीमारियों में से एक है और हाल के वर्षों में दवा प्रतिरोधी टीबी (एमडीआर-टीबी) में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है। 

भारत में टीबी (क्षय) रोग की स्थिति

- भारत विश्व स्तर पर टीबी के सबसे अधिक बोझ वाले देशों में से एक है, जहां हर साल बड़ी संख्या में टीबी के मामले सामने आते हैं।
- मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी (एमडीआर-टीबी)/ व्यापक रूप से दवा-प्रतिरोधी टीबी (एक्सडीआर-टीबी), इस बीमारी में टीबी की नियमित रूप से चलने वाली दवाइयो कारगर नहीं होती है। जिसके कारण विशेष दवाइयों द्वारा इस बीमारी के लिए  लंबे समय तक, उपचार की आवश्यकता होती है
- टीबी से निपटने के लिए, संशोधित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम (आरएनटीसीपी) और क्षय रोग उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय रणनीतिक योजना शामिल है। ये कार्यक्रम देश भर में इलाज, उपचार और रोकथाम के प्रयासों में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

टीबी रोग के लक्षण
- न ठीक होने वाली खांसी
- छाती में दर्द
- खाँसी में खून आना
- थकान
- बुखार
- रात को पसीना आना
- वजन कम होना
- भूख में  कमी                                                                                                                     

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