VIDEO: यूपी के हरदोई जिले से हुई थी होली की शुरुआत, भक्त प्रहलाद के जीवित रहने पर लोगों ने उड़ाया था रंग

VIDEO: यूपी के हरदोई जिले से हुई थी होली की शुरुआत, भक्त प्रहलाद के जीवित रहने पर लोगों ने उड़ाया था रंग

हरदोई, अमृत विचार। होली की धूम इन दिनों देश में ही नहीं विदेशों में भी छाई है, लेकिन होली की शुरुआत कहां से और कैसे हुई इसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। होली की शुरुआत जिला हरिद्रोही ( हरदोई) से हुई। हरदोई जिला राजा हिरणाकश्यपु की राजधानी था। वह हरि का द्रोही था,  इसलिए इस जिले को हरिद्रोही कहते थे, लेकिन उसका पुत्र प्रहलाद भगवान का उतना ही बड़ा भक्त था। अपने पुत्र के भगवान प्रेम से वह काफी नाराज रहता था। उसने पुत्र को मारने के तमाम प्रयास किए, लेकिन सफल न रहा।

हिरणाकश्यपु की बहन होलिका को भगवान ने एक दुशाला वरदान स्वरूप दिया था। इस दुशाले को डालने वाला कभी आग से भस्म नहीं हो सकता था, जब प्रहलाद को मारने के सभी उपाय असफल हो गए तब हिरणाकश्यपु ने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को आग में लेकर बैठने का आदेश दिया।

होलिका प्रहलाद को साथ लेकर आग में दुशाला ओढ़ कर बैठ गई, लेकिन इसी बीच भगवान ने इतनी तेज हवा चल दी की दुशाला उड़कर प्रहलाद के ऊपर जा गिरा, जिससे होलिका तो आग में भस्म हो, लेकिन भक्त प्रहलाद जीवित बच गया। भस्म से निकलने के बाद भक्त प्रहलाद ने जिस कुंड में स्नान किया था उसे प्रहलाद कुंड के नाम से जाना जाता है इसका उल्लेख नारद पुराण में मिलता है। भक्त प्रहलाद के आग से बचने पर उसके साथियों ने जली हुई  एक दूसरे को डाल कर खुशी मनाई। भस्म को उड़ाने का रिवाज बाद में रंग गुलाल उड़ाने में बदल गया। 

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आज भी जिला मुख्यालय पर हिरणाकश्यपु का खंडहरनुमा महल है।  इस महल के पास ही प्रहलाद कुंड है। जिसका वर्णन नारद पुराण में है। प्रहलाद घाट के पास ही नरसिंह मंदिर है। यही पर भगवान विष्णु ने नरसिंह का रूप धारण कर हिरणाकश्यु का वध किया था।  हरदोई जिला पहले हरिद्रोही के नाम से जाना जाता था, यहां पुराने समय में जिले के लोग हिरणाकश्यपु के डर से र शब्द के उच्चारण नहीं करते थे। इसी कारण अब भी ग्रामीण क्षेत्रों में उर्द को उद्द, हरदोई को हद्दोई के नाम से पुकारते हैं। हिरणाकश्यपु ने राम नाम के विरोध के कारण र शब्द के बोलने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था।

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