चुनावी बॉन्ड योजना को खत्म करने के बजाय इसमें सुधार किया जाना चाहिए था: शाह

चुनावी बॉन्ड योजना को खत्म करने के बजाय इसमें सुधार किया जाना चाहिए था: शाह

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनावी बॉण्ड पर उच्चतम न्यायालय के आदेश के प्रति सम्मान प्रदर्शित करते हुए शुक्रवार को कहा कि यह योजना राजनीति में काले धन को खत्म करने के लिए शुरू की गई थी और इसे रद्द करने के बजाय इसमें सुधार किया जाना चाहिए था।

शाह ने यह भी कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अवधारणा है और जब यह लागू होगा, तो यह तेजी से विकास सुनिश्चित करेगा और बार-बार होने वाले खर्च को समाप्त करेगा। शाह ने में कहा, ‘‘भारतीय राजनीति में काले धन के प्रभाव को खत्म करने के लिए चुनावी बॉन्ड लाए गए।

उच्चतम न्यायालय का फैसला सभी को मानना होगा। मैं उच्चतम न्यायालय के फैसले का पूरा सम्मान करता हूं, लेकिन मुझे लगता है कि चुनावी को पूरी तरह खत्म करने की बजाय इसमें सुधार किया जाना चाहिए था।’’ कांग्रेस पर निशाना साधते हुए गृहमंत्री ने कहा कि विपक्षी दल के नेता राजनीतिक चंदा नकद में लेते थे और 1100 रुपये के चंदे में से 100 रुपये पार्टी के नाम पर जमा करते तथा 1000 रुपये अपनी जेब में रखते थे।

उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी ने वर्षों तक इस प्रणाली को चलाया है।’’ शाह ने कहा कि यह कहा गया है कि चुनावी से भाजपा को फायदा हुआ है और राहुल गांधी ने बयान दिया है कि यह सबसे बड़ी जबरन वसूली गतिविधि थी। गृह मंत्री ने कहा, ‘‘मैं इस बारे में अपना रुख स्पष्ट करना चाहता हूं। कुल 20,000 करोड़ रुपये के चुनावी में से भाजपा को लगभग 6,000 करोड़ रुपये मिले।

बाकी बॉन्ड कहां गए? टीएमसी को 1,600 करोड़ रुपये मिले, कांग्रेस को 1,400 करोड़ रुपये मिले। बीआरएस को 1,200 करोड़ रुपये, बीजद को 750 करोड़ रुपये और द्रमुक को 639 करोड़ रुपये मिले।’’ शाह ने कहा, ‘‘303 सांसद होने के बावजूद हमें 6,000 करोड़ रुपये मिले हैं और बाकियों को 242 सांसदों के बावजूद 14,000 करोड़ रुपये मिले हैं।

किस बात को लेकर इतना हंगामा है? मैं कह सकता हूं कि एक बार हिसाब-किताब हो जाने के बाद वे आप सभी का सामना नहीं कर पाएंगे।’’ एक राष्ट्र, एक चुनाव के प्रस्ताव का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि देश भर में कई बार चुनाव होने के कारण इसमें बड़ी मात्रा में धन खर्च होता है। उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण सरकार की निर्णय लेने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता।

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