लखनऊ: शहर के आईवीएफ केंद्रों पर कसेगा शिकंजा, स्वास्थ्य विभाग करेगा कार्रवाई, जानिए क्यों है नाराज?

लखनऊ: शहर के आईवीएफ केंद्रों पर कसेगा शिकंजा, स्वास्थ्य विभाग करेगा कार्रवाई, जानिए क्यों है नाराज?

लखनऊ, अमृत विचार। शहर में संचालित आईवीएफ केंद्र अब मनमानी नहीं कर सकेंगे। स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें एआरटी अधिनियम के अधीन लाने की तैयारी शुरू कर दी है। केंद्रों को इसका सख्ती से पालन करना होगा। पंजीकरण नवीनीकरण के लिए केंद्र को शुल्क भी जमा करना होगा।

शहर में 40 से अधिक आईवीएफ सेंटर चल रहे हैं। केंद्रों पर अभी तक स्वास्थ्य विभाग का कोई जोर नहीं था। केंद्रों का हर साल सामान्य तरीके से नवीनीकरण करा लिया जाता था। यह केंद्र 2021 से लागू एआरटी अधिनियम के अधीन नहीं थे। इससे केंद्रों पर प्रोसीजर करने में मनमानी की जा रही थी। इसकी शिकायतें स्वास्थ्य विभाग को मिल रहीं थीं। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने सभी केंद्रों को एआरटी अधिनियम के दायरे में लाने की तैयारी कर ली है।

पांच साल के लिए बनेगा लाइसेंस

एआरटी अधिनियम लागू होने पर हर केंद्र को पांच साल के लिए लाइसेंस मिलेगा। तीन श्रेणी में आईवीएफ केंद्र को पंजीकरण कराना होगा। इसमें श्रेणी-1 में 50 हजार, श्रेणी दो में दो लाख रुपए श्रेणी तीन में पंजीकरण के लिए 50 हजार रुपए आईवीएफ केंद्रों को जमा करना होगा। जिसके बाद ही उन्हें लाइसेंस जारी होगा।

क्या है आईवीएफ

ये प्राकृतिक रूप से गर्भधारण में विफल दंपतियों के लिए गर्भधारण का माध्यम है। आईवीएफ प्रोसीजर में महिला के शरीर में होने वाली निषेचन की प्रक्रिया (महिला के अंडे व पुरुष के शुक्राणु का मिलन) को बाहर लैब में किया जाता है। लैब में बने भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।

अब सभी आईवीएफ केंद्र एआरटी अधिनियम के तहत पंजीकृत किए जाएंगे। इसकी तैयारियां पूरी की जा रही है।

                                                                    डॉ. एपी सिंह, डिप्टी सीएमओ व नर्सिंग होम के नोडल अधिकारी

यह भी पढ़ें: बहराइच: वाहनों को रोक कर वसूली करता है अज्ञात युवतियों का गैंग, चालक-राहगीर परेशान, पुलिस खामोश!