बहराइच: पहले जहां होती थी राजमा और सोयाबीन की खेती, अब ग्रासलैंड में हुआ तब्दील
विदेशों तक होती थी सोयाबीन और बेर की मांग, कोर्ट में केस जीतने पर वन विभाग ने अपने अधीन लिया

राजू जायसवाल/बहराइच, अमृत विचार। जिले में सुजौली रेंज के जंगल में 14500 हेक्टेयर में स्थित बगुलहिया फार्म में राजमा, सोयाबीन समेत कई फल उत्पादित किए जाते थे। लेकिन वन विभाग के अधीन होते ही खेती ठप हो गई। अब घास लगे हुए हैं। फॉर्म वीरान हो गई है। ऐसे में अब लोगों की यादें ही रह गई हैं।
कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग 551 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। जंगल के एक हिस्से में सुजौली रेंज में ऐतिहासिक बगुलहिया फॉर्म स्थित है, जिसे अब वन विभाग ने अपने अधीन ले लिया है। लगभग 20 वर्ष पूर्व एक लाख 74 हजार बीघा में फैला फार्म पूरी तरह से सब्जी, फल और अन्य खेती के लिए गुलजार थी।
फार्म हाउस में सोयाबीन, राजमा, बेर, लीची आम समेत अन्य फल और अनाजों की खेती होती थी। उत्पादित समान नेपाल, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और श्रीलंका भेजा जाता था। इसके लिए सरकार को अधिक पैसे भी खर्च करने पड़ते थे। लेकिन खेती किसानी से सरकार को लाभ भी अधिक मिलता था।
लेकिन वन विभाग ने इस पर हक जताते हुए केस कर दिया था। जिसमें कोर्ट का फैसला वन विभाग के पक्ष में आ गया। खेती किसानी के लिए मशहूर फॉर्म हाउस को वन विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया। साथ ही अब खेती किसानी के बजाए यहां पर सिर्फ घास और फूस के अलावा कुछ पेड़ ही बचे हैं।
पेड़ भी फॉर्म हाउस में नहीं है। जिसका लाभ वन्य जीवों को मिल सके। हालांकि वन विभाग ने कदम भी वन्य जीवों के लिए उठाया था। लेकिन पेड़ और अधिक घास न होने से काफी दिक्कत वन्य जीवों को हो रही है।
जंगल में ही रखा जाता था खाद्यान्न
बगुलहिया फॉर्म में पैदा होने वाले खाद्यान्न को जंगल में बने भवन में रखा जाता था। इसके बाद खाद्यान्न को सड़क मार्ग से दूसरे प्रांत और दूसरे देशों को भेजा जाता था। लेकिन अब सिर्फ यह कहानी बनकर रह गया है।
ग्रासलैंड में हुआ तब्दील
बगुलहिया फॉर्म पहले खेती किसानी के लिए था। लेकिन वन्य जीवों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जंगल का दायरा बढ़ाना भी बहुत जरूरी था। इसके लिए ही फॉर्म को जंगल में तब्दील कर दिया गया है इससे वन्य जीवों को आहार व उनके रहने का जगह मिल गया है...,बी शिवकुमार डीएफओ।
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