Shahjahanpur News: शहर से लेकर गांव तक बंदरों का आतंक, पकड़वाने का प्लान फेल

 Shahjahanpur News: शहर से लेकर गांव तक बंदरों का आतंक, पकड़वाने का प्लान फेल

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शाहजहांपुर, अमृत विचार: शहर हो या गांव बंदरों का आतंक सब जगह देखने को मिल रहा है। नगर निगम से लेकर नगर पालिका, पंचायत और गांव तक में बंदरों का आतंक है। महानगर में हमले कम हैं, लेकिन नुकसान बहुत ज्यादा हो रहा है। बंदर सामान उठा ले जाते हैं और छतों पर रखे गमले आदि तोड़कर ध्वस्त कर देते हैं। 

कुछ मोहल्लों में बच्चे और बुजुर्गों ने छतों पर जाना बंद कर दिया है। जबकि कुछ मोहल्लों में लोग स्टिक लेकर बाहर निकल रहे हैं। शहर में नगर निगम ने बंदरों को पकड़ने का ठेका कर दिया है, लेकिन निगम के पास शहर से बंदर पकड़कर छोड़ने के लिए जगह नहीं है। पहले निगम बंदरों को पकड़ कर वन में छोड़ देता था, लेकिन वन विभाग ने बंदरों को वन में छोड़ने पर रोक लगा दी है। 

ऐसे में बंदरों को वन में भी नहीं छोड़ा जा सकता है। जिसके चलते महानगर में बंदरों को पकड़ने के अभियान पर रोक लग गई है। बंदरों की समस्या का अधिकारियों के पास समाधान नहीं है। ऐसे में समस्या लगातर विकराल होती जा रही है। वन्य जीव न होने के चलते बंदरों को जंगल में भी नहीं छोड़ा जा सकता है। शहर और गांव से लगातार बंदरों के हमले व उत्पात की शिकायतें आ रही हैं, लेकिन अधिकारी कोई कदम उठाने में असमर्थ हैं।

सदर क्षेत्र के बहादुरगंज, कटिया टोला, इंदिरा नगर कॉलोनी और चौक क्षेत्र में बंदरों का ज्यादा आतंक है। शायद ही ऐसा कोई दिन होगा जिस दिन नगर निगम कार्यालय में बंदरों को पकड़वाने के लिए पत्र न पहुंचता हो। निगम के अधिकारियों का कहना है कि नगर निगम की ओर से स्थानीय स्तर पर वन विभाग से अनुमति मांगी थी, लेकिन बंदरों को पकड़वाकर जंगल में छोड़ने की अनुमति नहीं दी जा रही। 

वहीं, वन विभाग का मानना है कि बंदर कुत्तों और सांड़ों से भी जान को खतरा है। इसके बाद भी नगर निगम के पास कुत्तों को पकड़ने की भी कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में इनकी संख्या भी बढ़ती जा रही है। हालांकि, नगर निगम एनिमल सेंटर बनवा रहा है जहां पर कुत्तों की नसबंदी की जाएगी, लेकिन बाद में उन्हें दोबारा उसी क्षेत्र में छोड़ दिया जाएगा, जहां से उनको पकड़ा जाएगा। जबकि सांड़ों को पकड़वाने के लिए कैटिल कैचर चलवाए जा रहे हैं। बावजूद इनकी संख्या सड़कों से कम नहीं हो रही। यह निराश्रित गोवंश आपस में लड़ने के साथ ही दूसरों की जान भी ले रहे हैं। 

निगम पर लग चुका 50 हजार जुर्माना 
बंदरों को पकड़वाने के लिए छह महीने पहले अभियान चलाया गया था। पकड़े गए बंदरों को खीरी के जंगलों में छुड़वाया गया तो वन विभाग ने 50 हजार रुपये जुर्माना लगा दिया गया और अनुमति लेने की बात कही गई। अनुमति के लिए पत्र लिखा, लेकिन वह भी नहीं मिली। ऐसे में बंदरों की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। लोग आए दिन बंदरों को लेकर निगम अधिकारियों से शिकायत कर रहे हैं, लेकिन निगम के पास समस्या का हल करने की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में बंदर लगातार महानगर में धमाचौकड़ी मचा रहे हैं और उन पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। 

बंदरों को पकड़ कर वन में छोड़ने पर वन विभाग ने जुर्माना लगा दिया था। ऐसे में अब बंदरों को वन में नहीं छोड़ा जा सकता है। जिसके चलते बंदरों को पकड़ने का अभियान रुक गया है--- डॉ. मनोज कुमार मिश्र, नगर स्वास्थ्य अधिकारी, नगर निगम।

नगर निगम की ओर से अनुमति देने संबंधी पत्र मिला था, लेकिन बंदर जंगली पशु की श्रेणी में नहीं आते। इसलिए उनको जंगल में छोड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती---प्रखर गुप्ता, डीएफओ।

जिले में हो चुकी हैं कई घटनाएं

केस-1
नौ दिसंबर 2023 को रोजा थाना क्षेत्र के गांव सिमरई निवासी 40 वर्षीय सोमवती की दोपहर बाद चार बजे मकान की छत पर बैठी थी। इसी बीच कई बंदर मकान की छत पर आ गए। महिला ने बंदर को भगाने का प्रयास किया तो बंदरों ने उसके ऊपर हमला कर दिया। महिला जान बचाकर भागी तो अचानक मकान की छत से सड़क पर गिर गई। परिजनों ने बंदरों को मकान की छत से भगाया और घायल महिला को जिला अस्पताल ले गए। बाद में इलाज के लिए लखनऊ ले जाते समय महिला ने दम तोड़ दिया था। 

केस-2
24 अक्टूबर 2023 को भावलखेड़ा स्थित गांव नौगवां में दोपहर करीब दो बजे ईश्वरवती नाम की महिला पर बंदर ने अचानक हमला कर दिया था। बंदरों ने महिला के कान को काटकर जख्मी कर दिया था। 

महिला छत के ऊपर धान सूखने के लिए डालने गई थी इसी बीच बंदरों ने उस पर हमला कर दिया था। तभी अचानक बंदरों का झुंड आया और धान को खाने लगा। बंदरों को भगाने की कोशिश की और वह उल्टा हमारे ऊपर झपट मार कर कान को काटकर जख्मी कर दिया। महिला के परिजनों ने बताया था कि गांव में करीब चार वर्ष पहले न जाने कौन बंदरों को छोड़ गया, तब से समस्या बन गई थी।

केस-3
अगस्त 2023 में गढ़िया रंगीन में बंदरों ने काफी आतंक मचाया था। सबसे ज्यादा गुर्जर मोहल्ले के लोगों को परेशान किया था। एक सप्ताह में आठ लोगों को काट कर घायल कर दिया था। जिनमें ऋषिपाल, अमित गुप्ता, सत्यपाल गुर्जर, ब्यूमेश गुप्ता, राजा, वीरेश यादव, उपेंद्र गुर्जर, रूचि, मंतोषा, विमलेशा आदि शामिल थे। 

केस-4
आठ जुलाई 2023 को नगर के मोहल्ला नौगवां कोट में रहने वाली गुरुदीप कौर (70) कपड़े सुखाने के लिए अपने घर की छत पर गई थीं। उसी समय अचानक बंदर ने हमला कर दिया। बंदर ने सिर में काटकर घायल कर दिया। शोर मचाने पर लोगों ने दौड़ कर खुद को बचाया था। गुरदीप कौर की पोती सिमरन कौर को भी बंदर ने हाथ में काट लिया था। शोर की आवाज सुनकर परिजन दौड़कर छत पर पहुंचे।  इसके बाद बंदरों को भगाकर जान बचाई। 

केस-5
 छह जून 2023 को जलालाबाद की ग्राम पंचायत गुलड़िया के पूर्व प्रधान मातादीन वर्मा को बंदरों ने घेर लिया और काटकर उन्हें लहूलुहान कर दिया। वह किसी तरह अपनी जान बचाकर निकले थे। शोरगुल सुनकर मोहल्ले के लोग इकट्ठे हो गए, तब कहीं बंदर भगाने का काम शुरू हुआ।

इन बंदरों ने मोहल्ले के रामपाल के अलावा मुस्कान पुत्री संजय शर्मा, सहजिल पुत्री विपिन कुशवाहा, दुर्गा देवी पत्नी संजय शर्मा, रामदास, कुसुमा देवी, विपिन सिंह सहित करीब दर्जन भर लोगों को काटकर बुरी तरह जख्मी कर दिया था। 

केस-6
28 नवंबर 2023 को गढ़िया रंगीन थाना क्षेत्र के गांव गोगेपुर निवासी गुड्डू की 11 वर्षीय पुत्री जूली पर बंदर ने हमला कर दिया। बंदर के हमले से भयभीत होकर जूली भागी, जिससे छत से नीचे गिरकर घायल हो गई। बताते हैं कि जूली अन्य बच्चों के साथ छत पर खेल रही थी।

अचानक बंदर आ गए और हमलावर हो गए। बंदरों के हमले से डरकर जूली भागी तो छत से नीचे जा गिरी और गंभीर रूप से घायल हो गई। चीख सुनकर लोगों ने जूली को उठाया और परिजनों को जानकारी दी। गंभीर घायल जूली को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

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