Pilibhit News: महिलाएं बदलेंगी गन्ना खेती की तस्वीर, तैयार हो रही चार नई प्रजातियों की पौध

Pilibhit News: महिलाएं बदलेंगी गन्ना खेती की तस्वीर, तैयार हो रही चार नई प्रजातियों की पौध

पीलीभीत, अमृत विचार। गन्ना विभाग ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। विभाग की मदद से ग्रामीण अंचलों में रहने वाली स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं चार नई उन्नतशील प्रजातियों के गन्ने की पौध तैयार करने में जुटी हैं। बसंत कालीन बुवाई के लिए जिले भर में 50 लाख पौध तैयार की जा रही है। नई तकनीक से तैयार पौध की बुवाई होने पर गन्ने का जमाव 90 फीसदी से अधिक होगा।

गन्ना आयुक्त प्रभु नारायण सिंह द्वारा ग्रामीण अंचलों की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की यह अनूठी पहल की गई है। तराई इलाके में नकदी फसल के रूप में गन्ने की खेती बड़े पैमाने पर होती है। जनपद में एक लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे में गन्ने की फसल बोई गई है। गन्ना आयुक्त के निर्देश पर गन्ना खेती से महिलाओं को जोड़ने के लिए जनपद भर में 116 स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है। 

समूहों का गठन गन्ना विकास परिषदवार ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षकों की देख रेख में किया गया है। गन्ना बीज बदलाव में यह समूह अहम किरदार निभा रहे है। विभाग की मदद से महिलाएं सिंगल बड तकनीक से नवीनतम विकसित गन्ना किस्मों की पौध तैयार कर रही है।

विभाग के मुताबिक शासन के निर्देश पर जिले भर में 116 स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है। इसमें 100 स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं द्वारा बसंतकालीन बुबाई के लिए करीब 50 लाख पौध तैयार की जा रही है। इसी क्रम में बीसलपुर क्षेत्र के गांव दौलतपुर में मां लक्ष्मी महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा कोशा-13235, कोशा-15023, कोशा-14201 एवं कोशा-17231 की पौध तैयार की जा रही है। 

समूह सचिव संध्या गंगवार के मुताबिक शरदकाल में एक लाख पौध तैयार की गयी थी। अब बसंत कालीन बुवाई के लिए तीन लाख पौध तैयार की जा रही है। अभी जो पौध तैयार हो रही है। उसे सरसों की कटाई के बाद खेतों में रोपित किया जाएगा। दूसरी शिफ्ट की पौध को गेंहूं की कटाई के तुरंत बाद खेतो में रोपित किया जाएगा। किसानों की डिमांड के मुताबिक पौध तैयार की जा रही है।

80 फीसदी बचेगा बीज, बढ़ेगी पैदावार
गन्ना अधिकारियों के मुताबिक प्रति गन्ना औसतन 15 आंख होती है। पारंपरिक विधि में एक गन्ना दो और तीन आंख के टुकड़े काटकर बुवाई होती थी। इस विधि से अधिकतम पांच आंख से ही गन्ने का जमाव होता है, जबकि सिंगल बड चिप विधि अर्थात एक आंख की गन्ना बुवाई विधि से एक गन्ने से औसतन 15 पौधे तैयार होंगे। इससे करीब 80 फीसदी तक बीज बचेगा। गन्ने की तैयार नर्सरी को खेत में निर्धारित दूरी पर बुबाई करने से पैदावार भी बढ़ेगी। एक एकड़ में एक हजार पौध लग जाती है।

गन्ना पैदावार में बढ़ोत्तरी एवं महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में विभाग द्वारा स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है। इन समूहों के माध्यम से सिंगल बड चिप विधि से गन्ने की चार नई प्रजातियों की नर्सरी तैयार की जा रही है। समूहों की महिलाएं सीधे किसानों को पौध बिक्री करके लाभ अर्जित कर सकती हैं। इसमें विभाग उनकी मदद करेगा। - खुशीराम भार्गव, जिला गन्ना अधिकारी

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