लखनऊ: जमीनी विवाद में 150 पक्ष आमने-सामने, कई का कोर्ट में दायर है वाद, कुछ मामलों में पुलिस कर रही विवेचना
निर्णय में देरी होने से आए दिन दोनों पक्षों में होता रहता है विवाद
लखनऊ, अमृत विचार। राजधानी में जमीन कब्जाने के करीब 150 बड़े मामले हैं। इनमें दोनों पक्ष अक्सर आमने-सामने आ जाते हैं। इनमें खूनी संघर्ष भी हो चुके हैं। कुछ मामले कोर्ट में चल रहे हैं। पुलिस को लगातार विवाद की आशंका रहती है। ऐसे मामलों के जल्द निस्तारण के लिए संयुक्त पुलिस आयुक्त कानून एवं व्यवस्था ने पहल की है। एक विशेष प्रकोष्ठ का गठन किया है। अब इसी प्रकोष्ठ में इन मामलों की सुनवाई होगी। वहीं, राजधानी की कोर्ट में करीब पांच हजार मामले लंबित हैं।
जेसीपी कार्यालय के 36 नंबर कमरे में प्रकोष्ठ का कार्यालय बनाया गया है। प्रकोष्ठ में आने वाले मामलों के निस्तारण के लिए छह सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। प्रकोष्ठ गठन के बाद से जमीन कब्जाने के करीब 20 नए मामले आए हैं। कमेटी ने पिछले कुछ समय में राजधानी के विभिन्न थानों में दर्ज हुए करीब 150 मामलों की फाइल मंगा ली हैं।
ये ऐसे मामले हैं जिनमें दोनों पक्षों के बीच कई बार खूनी संघर्ष हो चुका है या आशंका बनी है। प्रकोष्ठ से जुड़े पुलिस कर्मियों की मानें तो जमीन विवाद से जुड़े बड़े मामलों को जल्द निस्तारित करने के लिए जांच कर रहे हैं। बता दें कि राजधानी में अक्टूबर 2023 तक राजस्व कोर्ट में दर्ज कराए गए करीब पांच हजार मुकदमें जमीन विवाद से जुड़े हैं। इनमें पैमाइश और अंश निर्धारण के मुकदमे प्रमुख हैं।
जमीन विवाद में हुई थी मौत
ठाकुरगंज में नगर निगम की सरकारी जमीन पर कब्जा करने को लेकर 25 सितंबर 2022 को दो पक्षों के बीच मारपीट हुई थी। इसमें एक पक्ष के एजाज बहादुर उर्फ राजू बॉक्सर की गंभीर चोट लगने से मौत हो गई थी।
छह लोग हुए थे घायल
महिगवां इलाके के गुलालपुर में तीन दिन पहले 30 जनवरी की रात जमीन पर कब्जे को लेकर हुए विवाद में करीब छह लोग घायल हो गए थे। सभी को भर्ती कराया गया है। पुलिस को दोनों पक्षों ने तहरीर सौंपी थी। दोनों पक्षों में पहले भी कई बार विवाद हो चुका है।
ऐसे चलता है जमीन का मुकदमा
जमीन का विवाद होने पर उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा- 24 और 24-राजस्व अधिनियम, 1901 की धारा-41 के तहत उप जिलाधिकारी की अदालत में निस्तारण के लिए आवेदन करने का प्राविधान है। ऐसे मुकदमों का निस्तारण और जमीन की पैमाइश सामान्य तौर पर तीन महीने में हो जानी चाहिए।
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