बरेली: फरीदपुर कांड... हत्या मानने को तैयार नहीं और हादसा साबित नहीं कर पा रही पुलिस

अब जांच के लिए लखनऊ से विशेषज्ञों की टीम बुलाने का दावा, सीन रीक्रिएट करने की भी तैयारी

बरेली: फरीदपुर कांड... हत्या मानने को तैयार नहीं और हादसा साबित नहीं कर पा रही पुलिस

बरेली/फरीदपुर, अमृत विचार। फरीदपुर के फर्रखपुर मोहल्ले में घर में सोते वक्त कमरे में आग लगने से पति-पत्नी और उनके तीन बच्चों की मौत को पुलिस अब तक हत्या नहीं मान रही है, लेकिन हादसा भी साबित नहीं कर पा रही है।

अब लखनऊ से एक्सपर्ट्स की टीम बुलाकर जांच कराने की बात कही जा रही है। इस बीच बुधवार को भी फरीदपुर पुलिस ने कई लोगों को थाने बुलाकर पूछताछ की। अजय के परिजनों और पड़ोसियों के फोन नंबर लेकर उनकी कॉल डिटेल निकलवाकर जांच करने की भी बात कही जा रही है।

फरीदपुर के फर्रखपुर में अजय गुप्ता, उनकी पत्नी अनीता और तीन बच्चों की 28 जनवरी की रात को सोते वक्त कमरे में आग लगने से मौत हो गई थी। कमरे के दरवाजे पर बाहर से ताला लगा होने और बाहर बरामदे में खड़ी तीन मोटर साइकिलों के पाइप काटकर उनका पेट्रोल टैंक खाली किए जाने जैसे साक्ष्यों के आधार पांचों की मौत को लोगों ने हत्या माना लेकिन पुलिस इसे हादसा बताती रही।

पुलिस ने तर्क दिया कि अजय ने खुद दरवाजों के बीच गैप से हाथ बाहर निकालकर ताला डाला होगा लेकिन परिवार वालों ने उसे खारिज कर दिया। उन्होंने दावा किया कि ऐसे ताला डालना मुमकिन नहीं है। पुलिस खुद काफी कोशिश करने के बावजूद इसमें कामयाब नहीं हो पाई। इसके बाद से पुलिस और परिवार वालों की तरफ से अलग-अलग तर्क दिए जा रहे हैं।

अनीता के फोन नंबर पर भी आरोप-प्रत्यारोप
पुलिस के मुताबिक परिजनों ने जांच के लिए अजय के ही दो फोन नंबर दिए हैं। अनीता का मोबाइल नंबर नहीं दिया है। अनीता के भाई सौरभ का कहना है कि अजय और अनीता के नंबर उन्होंने पुलिस को दिए हैं। घर के बाहर लगे बैनर पर ऊपर लिखा नंबर अनीता का ही है, नीचे वाला नंबर अजय का है। नान कारीगर अजय ने यह बैनर अपने प्रचार के लिए बनवाया था। पुलिस इसे भी नहीं मान रही। उसका तर्क है कि कोई आदमी प्रचार के लिए क्यों अपनी पत्नी का नंबर बैनर पर लिखवाएगा। पुलिस का यह भी कहना है कि कॉल डिटेल के मुताबिक दोनों नंबर अजय के ही निकले हैं। अजय के भाई महेंद्र ने बताया कि उन्हें नहीं पता कि अनीता के पास मोबाइल है या नहीं।

... तो मुआवजा क्यों
अनीता के भाई सौरभ ने मुआवजा दिए जाने का भी विरोध किया है। उन्होंने कहा कि अजय के पत्नी और बच्चों सभी की मौत हो चुकी है तब मुआवजा क्यों दिया जा रहा है। अजय को उनके परिजनों ने दो साल पहले ही अलग कर दिया था। परिवार के सदस्य उनसे बातचीत तक करना पसंद नहीं करते थे।

36 घंटे बाद मिला अनीता का मोबाइल
जिस कमरे में पांचों की मौत हुई, वह ज्यादा बड़ा नहीं है। इसके बावजूद पुलिस को उसमें अनीता का मोबाइल तलाश करने में करीब 36 घंटे लग गए। लोगों का कहना है कि छोटे से कमरे में इतनी देर से मोबाइल मिलना समझ से परे है। पुलिस ने कई और तथ्य पता कर लिए, लेकिन जला मोबाइल तलाश करने में इतना वक्त लग गया। पुलिस का कमरे के अंदर दरवाजे पर बाहर पड़े ताले की चाबी मिलने का दावा भी विश्वसनीय नहीं है। उधर, परिजनों का यह भी कहना है कि पुलिस को मिले दोनों मोबाइल फोन एंड्रायड हैं जबकि अजय के पास एक कीपेड मोबाइल भी था जो अब तक नहीं मिला है।

आईजी ने कहा- जल्द खुलासा करें
आईजी डॉ. राकेश कुमार सिंह ने इंस्पेक्टर फरीदपुर रामसेवक सिंह को निर्देश दिया है कि वह जल्द घटना का खुलासा करें। आईजी ने निर्देश दिए हैं कि घटना के प्रत्येक बिंदु पर गंभीरता से जांच की जाए।

घटना की प्रत्येक बिंदु पर जांच की जा रही है। लोगों से पूछताछ की जा रही है। जांच के लिए जल्द लखनऊ से एक्सपर्ट्स की टीम आकर सीन रीक्रिएट कर सकती है। - रामसेवक सिंह, इंस्पेक्टर फरीदपुर

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