बड़ी अर्थव्यवस्था की ओर

बिगड़ती भू-राजनीतिक स्थिति के बावजूद, भारत 2024 में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। भारत को आगामी वित्तीय वर्ष में 7 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि की उम्मीद है। लाल सागर में हाल की घटनाओं ने वैश्विक सप्लाई चेन पर निर्भरता को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं।
वैश्विक व्यापार में पहले से ही धीमी वृद्धि है। यदि सप्लाई चेन में व्यवधान जारी रहा तो यह व्यापार, परिवहन लागत, आर्थिक उत्पादन और वैश्विक मुद्रास्फीति को प्रभावित कर सकता है। हालांकि भारत इन उभरती चुनौतियों के प्रबंधन को लेकर आश्वस्त है। अगले तीन वर्षों में भारत के पांच लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है।
अगले वित्त वर्ष का केंद्रीय बजट प्रस्तुत किए जाने से पहले वित्त मंत्रालय की सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करने वाली हैं। ध्यान रहे दस साल पहले भारत 1.9 लाख करोड़ डॉलर के जीडीपी के साथ दुनिया की 10वीं बड़ी अर्थव्यवस्था था।
वित्त मंत्रालय ने अर्थव्यवस्था की जनवरी माह की समीक्षा रिपोर्ट में कहा है कि 10 साल की यह यात्रा ठोस एवं क्रमिक दोनों तरह के कई सुधारों से गुजरी है। इससे देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सरकार ने वर्ष 2047 तक भारत के विकसित देश बनने का एक बड़ा लक्ष्य रखा है। सुधारों की यात्रा जारी रहने के साथ, यह लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। साथ ही राज्य सरकारों की पूर्ण भागीदारी से चल रहे सुधार अधिक उद्देश्यपूर्ण और फलदायी होंगे।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भी आर्थिक मोर्चे पर भारत का प्रदर्शन और भी बेहतर दिखाई देता है। अमेरिका, ब्रिटेन और जापान सहित प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में आने वाले वर्ष में आर्थिक विकास दर में मंदी देखी जा सकती है। उधर भारत ग्लोबल अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ने के लिए तैयार है। यह रुझान भारत को 2030 तक जापान और जर्मनी को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर ले जाएगा।
ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स जैसी तमाम एजेंसियां का अनुमान है कि भारत दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, सबसे बड़ी परीक्षा यह है कि क्या भारत अगला बड़ा वैश्विक विनिर्माण केंद्र बन सकता है, जो एक बहुत बड़ा अवसर है। साथ ही एक मजबूत लॉजिस्टिक्स ढांचा विकसित करना भारत को सेवा-प्रधान अर्थव्यवस्था से विनिर्माण-प्रमुख अर्थव्यवस्था में बदलने में महत्वपूर्ण होगा।
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