विपक्ष की राह

अब चुनावी मुकाबले केवल जमीन पर ही नहीं, बल्कि दिमाग में भी लड़े जाते हैं। 2024 के आम चुनाव होने में कुछ ही महीने बचे हैं और राहुल गांधी एक बार फिर नागरिकों के लिए न्याय की मांग करते हुए सड़क पर हैं तो विपक्षी गठबंधन के भीतर से कांग्रेस के खिलाफ अन्याय की आवाजें उठ रही हैं। राजनीतिक दलों की लामबंदी, रणनीति, संगठन, गठबंधन का यह सबसे नाजुक दौर है। उसे लागू करने में भाजपा का कोई सानी नहीं है।
चुनाव के इतने नजदीक हो रही यात्रा पर कांग्रेस का कहना है कि यह यात्रा चुनावी नहीं, बल्कि वैचारिक यात्रा है और इसका चुनावी राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। इससे पहले राहुल गांधी ने सितंबर 2022 से जनवरी 2023 तक कन्याकुमारी से कश्मीर तक ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की थी।
समय-समय पर गठबंधन में आने वाली दरारें और विरोधाभासी आवाजें राम मंदिर उद्घाटन के मामले में एकजुट प्रतिक्रिया की कमी, भाजपा के नजरिए से भी गठबंधन की उपयोगिता पर सवाल खड़ा कर देती है। अयोध्या राम मंदिर का ‘चुनावी लाभ’ उसे हर हाल में मिलेगा, यह खुद भाजपा कबूल कर रही है। प्रतिस्पर्धी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के साथ-साथ परस्पर विरोधी राजनीतिक मैदानों पर प्रतिस्पर्धाएं बनी हुई हैं।
उदाहरण के लिए, सुश्री ममता बनर्जी को बंगाल में वामपंथियों और कांग्रेस के साथ संबंध बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं है, केरल, जहां वामपंथी और कांग्रेसी पारंपरिक दुश्मन हैं, एक और खाई बन गई है, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच दिल्ली में भले ही मुश्किलें आसान हों, लेकिन पंजाब में उन्हें मुश्किल हालात का सामना करना पड़ सकता है। इंडिया के गठन को छह माह से अधिक गुजर चुका है, लेकिन बुनियादी मुद्दे ही अनसुलझे हैं।
हालांकि टुकड़ों-टुकड़ों में सीटों पर बातचीत होती रही है, लेकिन बेनतीजा ही रही हैं, क्योंकि असहमतियों का दबाव ज्यादा है। देखा गया है कि विपक्ष द्वारा बनाए गए गठबंधन में टकराव के कारण आम सहमति पर ग्रहण लग जाता है। ‘इंडिया’ के पास अपना घर व्यवस्थित करने के लिए समय भी पर्याप्त नहीं है।
बेशक बेरोजगारी, महंगाई, अर्थव्यवस्था, सत्ता के एकाधिकार, महिला उत्पीड़न और आर्थिक विषमताएं आदि बेहद गंभीर और ज्वलंत मुद्दे हैं, लेकिन विडंबना है कि भारतीय लोकतंत्र में इन मुद्दों पर चुनावी जनादेश तय नहीं होते। ऐसे राजनीतिक परिदृश्य में विपक्षी एकजुटता की जरूरत बढ़ जाती है, लेकिन दुर्भाग्य है कि विपक्ष को अभी तक एहसास नहीं हो पाया है।