पीलीभीत: ठंड के कहर के साथ जहरीली हो रही तराई की आवोहवा, बढ़ा प्रदूषण का ग्राफ

पीलीभीत: ठंड के कहर के साथ जहरीली हो रही तराई की आवोहवा, बढ़ा प्रदूषण का ग्राफ

पीलीभीत, अमृत विचार। जिले में सर्दी के कहर के साथ ही प्रदूषण का स्तर भी इन दिनों तेजी से बढ़ रहा है। क्षतिग्रस्त सड़कों से उड़ती धूल और बेतरतीब ढंग से हो रहे निर्माण कार्य प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं। मंगलवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 160 माइक्रोमीटर प्रति घनमीटर रहा। जबकि पखवाड़ा भर पहले वायु गुणवत्ता सूचकांक 100 माइक्रो प्रति घनमीटर से भी कम था।

पर्यावरण के लिहाज के बेहतर माने जाने वाला तराई का यह जिला भी पिछले कुछ सालों से प्रदूषण की समस्या से जूझने लगा है। जानकार इसके पीछे बेतरतीब ढंग से हो रहे निमार्ण कार्य, वाहनों से निकलता धुआं, क्षतिग्रस्त सड़कों से उड़ती धूल और कूड़े के जलते ढेर को वजह मान रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि सर्दी के मौसम में प्रदूषण बढ़ जाता है। ऐसे में यदि बारिश होती है तो प्रदूषण का स्तर कम हो सकता है। हालांकि पखवाड़ा भर पहले जिले का एक्यूआई स्तर 100 माइक्रो प्रति घनमीटर दर्ज किया गया था, मगर अब यह फिर से बढ़ने लगा है।

अनदेखी के चलते प्रदूषित हो शहर  
ढाई लाख से अधिक आबादी वाला शहर इन दिनों प्रदूषित शहरों की कतार में पहुंचता दिखाई दे रहा है। शहर में किसी भी दिशा से प्रवेश करने के बाद क्षतिग्रस्त सड़कों और कच्चे फुटपाथों पर उड़ती धूल शहरवासियों का जीना दुश्वार किए हुए हैं।

शहर के बीच से गुजर रहे टनकपुर हाईवे, गौहिनया चौराहे से माधोटांडा रोड, डिग्री कॉलेज चौराहे से रामलीला रोड, नौगवा चौराहे से असम चौराहे की ओर जाने वाली सड़क पर धूल ही धूल देखी जा सकती है। आलम यह है कि जब कोई गन्ने से भरा ओवरलोड ट्रक या कोई अन्य भारी वाहन गुजरता है तो बाइक सवार समेत अन्य राहगीर रुक कर उसके गुजरने का इंतजार करते हैं ताकि उड़ती धूल के गुबार से बचा जा सके। शहर में इन दिनों कूड़ा जलाने पर भी कोई रोक नहीं है।

ठंड में जहां-तहां कूड़े के ढेर जलते देख जा सकते हैं। वहीं शहर की सड़कों पर लगने वाला वाहनों का जाम भी प्रदूषण को बढ़ावा दे रहा है। जाम में फंसने के दौरान वाहनों से निकलता जहरीला धुंआ भी शहरवासियों की सेहत से खिलवाड़ करता नजर आ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह सभी कारक प्रदूषण को खासा बढ़ावा दे रहे हैं।

सर्दी में कम ऊंचाई पर जमा हो जाते धूल के कण
समाधान विकास समिति के पूर्व जिला समन्वयक एवं पर्यावरणविद् लक्ष्मीकांत शर्मा के मुताबिक ठंड के मौसम में धूल के कण वायुमंडल में निचले स्तर पर फैले रहते हैं। जबकि गर्मी में यह अधिक ऊंचाई पर रहते हैं।  

ऐसे में जब सड़कों पर वाहन दौड़ते हैं, धूल और धुआं उड़ता है तो धूल के कण आसपास के वायुमंडल के निचले स्तर पर जमा हो जाते हैं। सड़कों के किनारे जलाया जा रहा कूड़ा भी प्रदूषण बढ़ाने में सहायक है, जबकि इस पर रोक लगी हुई है। उन्होंने बताया कि वायु गुणवत्ता सूचकांक स्तर बढ़ने का सबसे अहम कारण भी यही है।

मंगलवार को एक्यूआई 160 के पार रहा। यह बच्चों और वयस्कों के लिए खतरे का सूचक है। यदि ध्यान नहीं दिया गया तो प्रदूषण अपने उच्च स्तर पर जल्द ही पहुंच जाएगा।

जनपद में एक्यूआई का स्तर
पखवाड़ा भर पहले- 100 माइक्रो प्रति घनमीटर
मंगलवार- 160 माइक्रो प्रति घनमीटर

एयर क्वालिटी इंडेक्स और उसका स्वास्थ्य पर प्रभाव-
- 0-50 (अच्छा)/कुछ नहीं
- 51-100 (संतोषजनक)/संवेदनशील लोगों को दिक्कत
- 101-200 (थोड़ा प्रदूषित)/बच्चों और वयस्कों के लिए खतरा
- 201-300 (खराब)/फेफड़े संबंधी बीमारियां
- 301-400 (बहुत खराब)/ लंबे समय तक ऐसा रहने से फेफड़े और दिल की बीमारियां
-  401-500 (गंभीर)/ हृदय रोगियों के लिए प्राणघातक

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