Kanpur के साढ़ से अपहृत बच्ची के साथ अपहर्ता गिरफ्तार… अगवा करने के बाद भागी थी जयपुर, इस तरह करती थी कॉल

कानपुर में साढ़ से अपहृत बच्ची के साथ अपहर्ता गिरफ्तार।

Kanpur के साढ़ से अपहृत बच्ची के साथ अपहर्ता गिरफ्तार… अगवा करने के बाद भागी थी जयपुर, इस तरह करती थी कॉल

कानपुर में साढ़ से अपहृत बच्ची के साथ अपहर्ता गिरफ्तार। अपहर्ता बच्ची को अगवा करने के बाद जयपुर भाग गई थी। वह दूसरे के फोन से कॉल करती थी।

कानपुर, अमृत विचार। साढ़ थाना क्षेत्र के बरईगढ़ गांव से अगवा की गई चार वर्षीय बच्ची को पुलिस ने रविवार को बरामद कर लिया। पुलिस ने फोन की लोकेशन ट्रैस कर अपहर्ता महिला को रनियां से गिरफ्तार किया, जिसके कब्जे से बच्ची सकुशल मिल गई है। 23 दिन बाद बच्ची को पाकर मां की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।

साढ़ क्षेत्र के बरईगढ़ गांव से 15 दिसंबर को दोपहर बाद करीब तीन बजे अरविंद उर्फ भूरे की चार वर्षीय बेटी अर्पिता गायब हो गई थी। प्रारंभिक छानबीन के बाद पुलिस ने पिता की तहरीर पर पड़ोसी मुकेश सोनकर की पत्नी कोमल के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज की थी। अपहरण का मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस अपहृत और अपहर्ता की तलाश में हाथ-पांव मार रही थी, लेकिन दोनों का कहीं कोई सुराग नहीं लगा सकी।

बच्ची के बरामद नहीं होने से परिवार के लोग टूट सा गए थे। पुलिस भी शांत होकर बैठ गई थी। पुलिस अंधेरे में तीर चला रही थी, लेकिन शनिवार की दोपहर पुलिस को एक ऐसा क्लू मिला, जिससे पुलिस अपहर्ता तक पहुंचने में कामयाब हो गई।

अपहर्ता कोमल ने थाने से चंद कदम की दूरी पर एक सर्राफ अनिल यादव के पास अनजान नंबर से फोन किया और उससे अपनी बिछिया के बारे में जानकारी चाही। इसके बाद सर्राफ ने फोन कटते ही थानाध्यक्ष को जानकारी देने के साथ फोन नंबर दे दिया।

इसके बाद पुलिस ने बिना समय गंवाए फोन नम्बर के आधार पर उसकी लोकेशन ट्रैस कर रात में ही छापा मारा। पुलिस ने आरोपी कोमल को कानपुर देहात जनपद के रनियां कस्बे से गिरफ्तार कर लिया। उसके कब्जे से बच्ची अर्पिता को भी सकुशल बरामद कर लिया।

रविवार को पुलिस ने पिता अरविंद उर्फ भूरे और उसकी पत्नी विमला को थाने बुलाकर बच्ची को सौंप दिया, जबकि गिरफ्तार आरोपी कोमल को जेल भेज दिया गया। बच्ची को पाकर मां-बाप की आंखों से खुशी के आंसू छलक उठे।

अगवा करने के बाद जयपुर भागी थी कोमल

पुलिस की पूछताछ में अपहर्ता कोमल ने बताया कि 15 दिसंबर को चने का साग तोड़ने के बहाने वह अर्पिता को लेकर निकली थी। घर आमने-सामने होने के कारण अर्पिता उसके मुंह लगी थी। गांव से निकलने के बाद वह फजलगंज, कानपुर पहुंची और वहां से स्लीपर बस में सवार होकर जयपुर चली गई। जयपुर में काम तलाशा, लेकिन नहीं मिलने पर दो दिन बाद आगरा आ गई। वहां एक घर में काम करने लगी। सात दिन पहले रनिया आ गई थी, जहां एक खिलौना फैक्ट्री में काम करने लगी और वहीं किराये का कमरा लेकर रहने लगी। जहां रहती थी, वहां टिफिन नाश्ता का काम होता है।

दूसरे का फोन मांग कर करती थी कॉल

अपहर्ता कोमल खुद का कोई फोन इस्तेमाल नहीं करती थी। यही वजह थी कि पुलिस उसकी लोकेशन ट्रैस नहीं कर पा रही थी। जब वह फजलगंज से जयपुर जा रही थी, तब भी एक यात्री के फोन से सर्राफ को फोन किया था। उसी फोन कॉल के आधार पर परिवार वाले जयपुर ढूंढने गए थे। शनिवार को भी उसने मकान मालिक के फोन से सर्राफ को कॉल की थी। बस यहीं धोखा खा गई और फोन करने के कुछ घंटे बाद ही पकड़ी गई।

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