प्रयागराज: मेरे पास यही भूमि है, इसी से मैं अपने परिवार का भरण पोषण करता हूं, डीएम के सामने रोया किसान, बताई व्यथा

प्रयागराज: मेरे पास यही भूमि है, इसी से मैं अपने परिवार का भरण पोषण करता हूं, डीएम के सामने रोया किसान, बताई व्यथा

नैनी, प्रयागराज। यमुनापार के जसरा बाईपास में अधिग्रहित भूमि का मुआवजा कम होने को लेकर काम रोकने के बाद किसानों का एक प्रतिनिधि मंडल जिलाधिकारी से मिला। प्रतिनिधि मंडल में शामिल किसान रामबाबू कुशवाहा का दर्द छलक पड़ा और वह अपने को रोक न सका। जिलाधिकारी से अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए उसके आंखों से आंसू छलक गए। उसने कहा कि " मेरे पास यही भूमि है, इसी से मैं अपने परिवार का भरण पोषण करता हूं। मेरे जमीन की कीमत तय मुआवजा से बहुत ज्यादा है। साहब न्याय कीजिए नहीं में अपनी जान दे दूंगा, आप सड़क बनवा लीजिएगा।" 

बता दें कि जसरा बाईपास निर्माण कार्य किसानों ने 29 दिसंबर को पचखरा गांव में रुकवा दिया था। मौके पर मौजूद नायब तहसीलदार से किसान नेता केके मिश्रा व किसानों से बहस के बाद जिलाधिकारी ने किसानों के साथ बातचीत करने का समय दिया था। प्रतिनिधि मंडल के नेता केके मिश्रा ने जिलाधिकारी से मुआवजा बढ़ा कर देने के बाद ही काम लगाने का अनुरोध किया। आक्रोशित किसानों ने जिलाधिकारी से काम नहीं लगने देने की बात भी कही।

किसानों को डीएम ने उचित कार्यवाही का आश्वासन देते हुए एडीएम जगदंबा सिंह को प्रकरण की जिम्मेदारी दिया। गौरतलब है कि मार्च 2023 से भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई। संबंधित भूमि व रकबे का गजट प्रकाशित किया गया। जून माह में किसानों के नाम के साथ रकबे का प्रकाशन प्रमुख अखबारों में प्रकाशित किया गया। किसानों के द्वारा कोई विरोध नहीं किया गया, लेकिन सितंबर माह में मुआवजे के निर्धारण की जानकारी में कम मुआवजे को लेकर किसान असंतुष्ट हो गए और 10 सितंबर को जसरा-दौना मंदिर पर किसान नेता केके मिश्रा की अगुआई में किसान पंचायत कर आंदोलन का निर्णय लिया। धरना प्रदर्शन व आमरण अनशन किसानों द्वारा किया गया।

सांसद डॉ. रीता बहुगुणा जोशी से लेकर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या तक अपनी गुहार किसानों ने लगाई। मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने अपर आयुक्त, एडीएम नजूल विशेष भूमि आधिपत्य अधिकारी व एनएचएआई के अधिकारियों ने किसानों के प्रतिनिधि मंडल के साथ बैठक कर किसानों का पक्ष सुना। इसके बाद अधिकारियों को किसानों की समस्या हल करने के लिए आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश दिया था। किसानों ने संबंधित अधिकारियों को मुआवजे से संबंधित आवश्यक कागजात दिए। परंतु आज तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला।

किसानों का कहना है कि 2015 में रीवा बाईपास के निर्माण में अधिग्रहित की गई गौहनियां और अमरेहा ग्राम सभा के किसानों की भूमि का मुआवजा 80 लाख रुपये बीधा मुआवजा दिया गया था। आठ वर्ष बाद 32 लाख बीघा बनाया गया है, जबकि जमीन की कीमत काफी अधिक हो गई है। किसान गुरु चरन साहू ने बताया कि रीवा बाईपास में मेरी भूमि संख्या 146 का हिस्सा अधिग्रहण किया गया था और 80 लाख बीघा मुआवजा मिला था। उसी भूमि का शेष भाग जसरा बाईपास में अधिग्रहित किया गया है। उसका मुआवजा 32 लाख बीघा बनाया गया है, जबकि मेरी जमीन की कीमत बहुत अधिक है। इसी तरह पांडर, पचखरा, खटंगिया व जसरा की भूमि भी कीमती है।

यह भी पढ़ें: हरदोई: स्मार्टफोन के लिए छात्र-छात्राओं से वसूले पांच-पांच सौ रुपये, नोडल अधिकारी ने कराए वापस