बदहाली : तिरपाल के नाम पर पन्नी, ठंडे पड़े अलाव, ठिठुर रहे मवेशी

सर्दी से बचाव के इंतजाम नाकाफी, ठिठुर रहे गोवंश

बदहाली : तिरपाल के नाम पर पन्नी, ठंडे पड़े अलाव, ठिठुर रहे मवेशी

बाराबंकी, अमृत विचार। शीतलहर व गलन भरी सर्दी के बीच गोशालाओं में मवेशी ठिठुरने को मजबूर हैं। गोवंशों को सर्दी के बचाने के लिए उन पर जूट का बोरा अथवा झाल तक नहीं डाला गया है। ठंड से बचाव के इंतजाम नाकाफी होने से गोवंश बीमार पड़ रहे हैं। हालांकि कुछ गोशालाओं में त्रिपाल के नाम पर पन्नी डालकर मवेशियों को ठंड से बचाने का ढिंढ़ोरा पीटा जा रहा है। ऐसे में अब बारिश के दौरान इन बेजुबानों की स्थिति और भी दयनीय हो सकती है।

अमृत विचार की टीम ने ठंड को देखते हुए कुछ गोशालाओं की हकीकत जानने का प्रयास किया। जिसमें पशुपालन विभाग के साथ प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही खुलते पाई गई। सर्दी का सीजन शुरु होते ही डीएम सत्येंद्र कुमार ने बैठक कर गोशालाओं में मवेशियों के ठंड से बचाव की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे। मगर डीएम के आदेशों का गोशालाओं में पालन तो किया गया लेकिन नाम मात्र का गोवंशों के ऊपर जूट का बोरा अथवा झाल तक नहीं डाला गया है। जिस टीन के नीचे मवेशी बांधे जाते हैं, उस टीन शेड के चारों तरफ त्रिपाल के नाम पर सिर्फ पन्नी बांध दी गई है। वह भी चौड़ाई में छोटी होने से ठंड हवाएं आ रही हैं। दिन के समय में जब टीन शेड के नीचे शीतलहर कंपकंपी छुड़ा रही है तो रात को मवेशियों की ठंड में क्या हालत होती होगी सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। 

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टीन शेड हर तरफ से खुला, ठिठुरते गोवंश
दरियाबाद ब्लॉक के लालपुर गुमान गोशाला में अलाव के नाम पर सिर्फ धुंआ उठता दिखा। मवेशी अलाव के चारों ओर खड़े दिखाई दिए। जबकि न तो इन्हें  जाट के बोरों से ढका गया न तो अलाव के ही पर्याप्त इंतजाम किए गए। इसी तरह क्षेत्र के इटौरा, कुसफर, लालगंज आदि गो आश्रय स्थल पर भी इंतजाम नाकाफी दिखे। इसी तरह इंटौरा ग्राम पंचायत भी में मवेशी ठंड से जुझते हुए मिले। यहां पर भी पन्नी तांन कर इतिश्री कर ली गई। सिद्धौर ब्लाॅक क्षेत्र की ग्राम पंचायत पश्चिम बेलाव की गोशाला में मवेशी ठिठुरते मिले। यहां के बरामदे के आधे भाग में पन्नी लगी थी जबकि आधा हिस्सा खुला था। यहां भी न तो बोरों की व्यवस्था की गई और न अलाव की। 

111 गोशालाओं में 32 हजार गोवंश
जिले के पंद्रह ब्लाॅक क्षेत्रों में स्थायी, वृहद और अस्थाई के रुप में कुल 111 गोआश्रय स्थल बनाए गए हैं। इनमें वर्तमान समय में 32 हजार मवेशियों काे संरक्षित करने का दावा किया जा रहा है। विभाग का दावा है कि मवेशियों को पर्याप्त मात्रा में चारा, दाने के साथ अन्य जरुरी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।

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वर्जन-
गोशालाओं का लगातार निरीक्षण किया जा रहा है। जो कमियां मिलती हैं, उन्हें तत्काल दूर कराया जाता है। संबंधित को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए जाते हैं। अगर कहीं पर कमी है तो उसे दूर किया जाएगा। इसकी बराबर मॉनीटरिंग की जा रही है। -डॉ.अतुल कुमार अवस्थी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।

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