हल्द्वानी: कर्ज लेकर चुकाई 'गुरुदक्षिणा', डकार गया 'दगाबाज गुरू'

सर्वेश तिवारी, हल्द्वानी, अमृत विचार। दो साल बर्बाद हुए और रुपये भी। जो बच्चे दिल्ली पैरामेडिकल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में डिप्लोमा लेने आए थे, उनमें से तो कुछ कर्ज लेकर आए थे। इन बच्चों ने कर्ज लेकर गुरुदक्षिणा तो चुका दी, लेकिन बदले में 'गुरू प्रकाश मेहरा' ने उन्हें फर्जी डिप्लोमा थमा दिया और 'गुरुदक्षिणा' डकार गया।
दो माह पूर्व अक्टूबर में हिमांशु नेगी अपने करीब दर्जनभर सहपाठियों के साथ पुलिस बहुउद्देशीय भवन पहुंचा था। हिमांशु ने बताया कि जो छात्र-छात्राएं इंस्टीट्यूट में पढ़ रही थीं, उनमें से कुछ अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और रानीखेत से थीं। इनमें से भी कुछ गरीब परिवार के थे और फीस के लिए एक लाख रुपये की जरूरत थी।
इसके लिए उनके माता-पिता ने अपने किसी रिश्तेदार तो किसी ने अपने करीबियों से कर्ज लिया था। इन्हें किसी सूरत मार्कशीट, डिप्लोमा और एक ऑल इंण्डिया पैरा-मैडिकल का सार्टिफिकेट दिया गया और जब एक छात्र ने नौकरी के लिए अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में डिप्लोमा लगाया तो वो अस्वीकार कर दिया गया। बताया गया कि जहां से डिप्लोमा आदि मिला है उस डीपीएमआई का तो रजिस्ट्रेशन ही नहीं है।
इसके बाद जब छात्र शिकायत लेकर पहुंचा तो एमडी ने यह कहा कि इंस्टीट्यूट के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि जब तमाम आश्वस्वन के बाद भी जब रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो छात्रों ने अपने स्तर से तहकीकात शुरू की। छात्रों ने डीपीएमआई में घुस कर छानबीन की तो पता लगा अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज ने सही कहा था।
जिसके बाद छात्र काठगोदाम पुलिस के पास पहुंचे, लेकिन पुलिस ने सीधे कार्रवाई से हाथ खड़े कर दिए। फिर छात्र पुलिस बहुउद्देशीय भवन पहुंचे और अधिकारियों से शिकायत की। शिकायत पर मुकदमा हुआ और अब जांच के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। फिलहाल, जो छात्र कर्ज लेकर आए उनके परिजन आज भी उस कर्ज की भरपाई कर रहे हैं।
योजना के तहत डकारा बच्चों का पैसा
हल्द्वानी : इंस्टीट्यूट पहले ठीक चल रहा था, लेकिन फिर एमडी प्रकाश मेहरा, पल्लवी मेहरा और तनुजा गंगोला ने धांधली शुरू कर दी। ये बच्चों से एडमिशन फीस तो लेते थे, लेकिन उसे दिल्ली स्थित मुख्यालय में जमा नहीं करते थे। इस पर वर्ष 2018 में इंस्टीट्यूट का रजिस्ट्रेशन मुख्यालय ने रद्द कर दिया। पुलिस के मुताबिक मुख्यालय से बकाया भरने और रजिस्ट्रेशन बहाल कराने के लिए बार-बार रिमाइंडर भेजा गया, लेकिन रिमाइंडर को दरकिनार कर बच्चों की एडमिशन फीस डकारने का खेल चलता रहा।