मुरादाबाद : हर माह 70 से अधिक डिमेंशिया के मरीज पहुंच रहे जिला अस्पताल, जानें बचाव के उपाय

बचाव के उपाय
मुरादाबाद, अमृत विचार। जिला अस्पताल में हर माह 70 से अधिक डिमेंशिया के मरीज पहुंच रहे हैं। यह बीमारी 60 वर्ष की उम्र वालों को अधिक होती है। हालांकि 50 वर्ष उम्र वाले कुछ लोगों को भी यह समस्या हो रही है। मानसिक रोग विभाग की ओपीडी प्रत्येक सोमवार, बुधवार, शुक्रवार को संचालित होती है। इसमें प्रतिदिन 100 से अधिक लोग उपचार कराने के लिए पहुंचते हैं। इनमें भूलने की समस्या वाले 10 से अधिक लोग पहुंच रहे हैं।
जिला अस्पताल के राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम परामर्शदाता मनोरोग डॉ. एलके गुप्ता बताते हैं कि इस समस्या को डिमेंशिया (अल्जाइमर्स) कहते हैं। डिमेंशिया किसी एक बीमारी का नाम नहीं है, बल्कि यह एक लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से संबंधित है। अधिकतर लोग डिमेंशिया को भूलने की बीमारी के नाम से जानते हैं। याददाश्त की समस्या एकमात्र इसका प्रमुख लक्षण नहीं है। डिमेंशिया के अनेक गंभीर और चिंताजनक लक्षण होते हैं। इनका असर डिमेंशिया से पीड़ित लोगों के जीवन पर पड़ता है।
दैनिक कार्यों में भी व्यक्ति को दिक्कतें होती हैं और जो उम्र के साथ बढ़ती हैं। यह बीमारी 65 वर्ष से अधिक उम्र के 10 लोगों में से एक को और 85 साल के चार में से एक को प्रभावित करती है। 65 साल से कम उम्र के लोग भी बीमारी से ग्रस्त हैं जिसे अल्जाइमर की शुरुआत के रूप में जाना जाता है। यह बीमारी सबसे हल्के चरण से गंभीरता में बदल सकती है और इससे अधिक गंभीर चरण में व्यक्ति अपने दैनिक कार्यों के लिए भी दूसरों पर पूरी तरह से निर्भर हो जाता है।
डिमेंशिया के ये हैं लक्षण
स्मरण शक्ति की क्षति, जरूरी चीजें भूलना, सोचने में कठिनाई, छोटी-छोटी समस्याओं को भी न सुलझाना, भटक जाना, व्यक्तित्व में बदलाव, किसी वस्तु का चित्र देखकर यह न समझ पाना कि यह क्या है, नंबर जोड़ने और घटाने में दिक्कत, गिनती करने में परेशानी, समस्या हल करने या भाषा और ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत, यहां तक कि डिमेंशिया लोग अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होते हैं। यानी मूड या व्यवहार का बदलना, पहल करने में झिझक समेत अन्य इस बीमारी के लक्षण हैं। चिकित्सक का कहना है कि बहुत से लोग स्मृति हानि से ग्रस्त होते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है, उनको अल्जाइमर या अन्य डिमेंशिया है। स्मृति हानि होने के कई कारण हो सकते हैं।
बचाव के उपाय
मरीज के कमरे में रखी हुई वस्तुओं को यथा संभव उन्हीं स्थानों पर रखें तथा बदलाव न करें। मरीज को नियमित दिनचर्या के पालन के लिए एक डायरी में लिखकर दें, ताकि वे देखकर अपनी दिनचर्या के कार्य सुचारू रूप कर सकें। मरीज को नियमित रूप से किसी न किसी कार्य में व्यस्त रखने का प्रयत्न करें।
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