बरेली: समझौता होने के बाद भी ठंडी नहीं हुई रंजिश का आग, ठाकुर परिवारों के बीच मूंछों की लड़ाई

2010 में मारे गए थे मृतक सूर्यांश के ताऊ और आरोपी रुद्र प्रताप के बाबा और नाना, 2015 में समझौता होने के बाद निश्चिंत हो गया था ओमवीर का पक्ष

बरेली: समझौता होने के बाद भी ठंडी नहीं हुई रंजिश का आग, ठाकुर परिवारों के बीच मूंछों की लड़ाई

बरेली/भमोरा, अमृत विचार : भमोरा के गांव घिलौरा में दो ठाकुर परिवारों को मूंछों की लड़ाई उस मुकाम तक ले गई जहां दोनों पक्षों के तीन लोग मारे गए. फिर भी दुश्मनी की आग ठंडी नहीं हुई। वर्ष 2010 में भी दोनों पक्षों के बीच गोलियां चली थीं जिसमें मृतक सूर्यांश के ताऊ और आरोपी रुद्रप्रताप सिंह के बाबा और नाना मारे गए थे। इसी रंजिश ने रविवार को बालिग होने से पहले ही सूर्यांश की भी जान ले ली।

इस बीच 2015 में दोनों पक्षों के बीच समझौता करा दिया गया था लेकिन यह समझौता भी खूनखराबा नहीं रोक पाया। घिलौरा गांव के लोगों के मुताबिक गांव के लोगों ने बताया कि सूर्यांश के ताऊ राजवीर सिंह का इलाके में अच्छा दबदबा था। लोग उन्हें सम्मान देते थे। रुद्र प्रताप के बाबा वीरपाल सिंह की गिनती भी कद्दावर लोगों में होती थी लेकिन राजवीर की लोकप्रियता ज्यादा थी।

इसी वजह से राजवीर सिंह और वीरपाल सिंह के बीच तनातनी शुरू हो गई। नौबत यहां तक पहुंच गई कि एक-दूसरे को रास्ते से हटाने की योजना बनाई जाने लगी। गांव वालों के मुताबिक 2010 में वारदात के दिन राजवीर सिंह कुछ साथियों के साथ लंगुरा गांव में दावत खाने गए थे। उसी दिन वीरपाल एटा में रहने वाले अपने बेटे सतीश पाल के रिश्ते के ससुर रतन सिंह के साथ कार लेकर उनके रास्ते में पहुंच गए।

तंग रास्ते पर दोनों कारें आमने-सामने अड़ गईं लेकिन दोनों में से कोई अपनी कार एक साइड करने को तैयार नहीं हुआ। इस पर पहले कहासुनी और गालीगलौज हुई और उसके बाद दोनों तरफ से गोलियां चलनी शुरू हो गईं। इस गोलीबारी में वीरपाल सिंह और रतन सिंह दोनों की गोली लगने से मौके पर ही मौत हो गई थी। गोली लगने से राजवीर भी घायल हो गए थे। सात दिन बाद उन्होंने भी दम तोड़ दिया था।

इस घटना के बाद राजवीर के भाई ओमवीर सिंह, आछू सिंह, संतोष सिंह, जगन्नाथ और उनका ड्राइवर भी जेल गए थे। गांव के लोगों ने बताया कि वर्ष 2015 में दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया। इसके बाद ओमवीर सिंह का परिवार रंजिश भूलकर अपने काम में लग गया।

लेकिन सतीश पाल के बेटे रुद्रप्रताप के दिल में अपने बाबा और नाना की हत्या को लेकर बदले की आग सुलगती रही। रुद्रप्रताप पहले भी कई बार सूर्यांश से झगड़ा कर चुका था। ओमवीर अपने दोनों बेटों को समझाते रहते थे, इसलिए दोनों शांत रहते थे। इसके बावजूद होनी नहीं टल पाई।

छह महीने पहले कथा में हुई मारपीट और फिर सुलग गई ठंडी पड़ चुकी आग: घिलौरा के लोगों ने बताया कि छह महीने गांव में भगवत कथा के दौरान सूर्यांश और रुद्रप्रताप के बीच विवाद हुआ था। रुद्र प्रताप ने चप्पल गायब बताकर मारपीट की थी लेकिन बाद में सूर्यांश भारी पड़ गया। कथा में मौजूद लोगों ने दोनों को अलग कर दिया था।

रुद्रप्रताप के दिल में वर्षों से पल रही बदले की भावना फिर से जाग गई। उसने अपने दोस्त नीरज को साथ लिया और सूर्यांश को ठिकाने लगाने के लिए 17 दिसंबर को बल्लिया में दिन में 1.40 बजे फायर कर दिया। जिससे सूर्यांश की मौत हो गई।

बाल-बाल बच गया नितिन भी: रुद्रप्रताप ने सूर्यांश के सीने में तमंचा सटाकर फायर किया था। गोली पीठ के पास जाकर अटक गई। अगर गोली पार हो जाती तो पीछे बैठे उसके बड़े भाई नितिन को भी लग सकती थी। नितिन ने बताया कि गोली लगते ही सूर्यांश गिरने लगा तो उसने उसे पकड़ा और घरवालों को सूचना दी।

जिला अस्पताल में ओमवीर सूर्यांश का शव देखकर बिलख पड़े। उसकी की मां और बहन भी मोर्चरी के सामने दहाड़ें मारकर रो रही थीं। ओमवीर के रिश्तेदार किसी को चुप कराने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे।

पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है। जल्द ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। - परमेश्वरी, थाना प्रभारी भमोरा

पुरानी रंजिश में घिलौरा के सूर्यांश को उसी के गांव के रुद्रप्रताप ने अपने साथी नीरज के साथ मिलकर गोली मार दी जिससे उसकी मौत हो गई। परिजनों की तहरीर पर आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर विधिक कार्रवाई की जाएगी। - मुकेश चंद्र मिश्र, एसपी देहात

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