लखनऊ: चीफ जस्टिस बताकर ठगी करने के आरोपी की जमानत अर्जी खारिज

लखनऊ, अमृत विचार। अपर सत्र न्यायाधीश हरेंद्र बहादुर सिंह ने खुद को चीफ जस्टिस बताकर फोन पर 10 लाख रुपये मांगने के मामले में निरुद्ध अभियुक्त रंजन कुमार मिश्रा की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया अभियुक्त के अपराध को गंभीर करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त पर एक …
लखनऊ, अमृत विचार। अपर सत्र न्यायाधीश हरेंद्र बहादुर सिंह ने खुद को चीफ जस्टिस बताकर फोन पर 10 लाख रुपये मांगने के मामले में निरुद्ध अभियुक्त रंजन कुमार मिश्रा की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया अभियुक्त के अपराध को गंभीर करार दिया है।
कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त पर एक संगठित गिरोह का सदस्य होने का भी इल्जाम है। अभियुक्त पर फर्जी नाम पते से सिम हासिल कर मोबाइल के जरिए लोगों से पैसा ऐंठने का काम करने का आरोप है।
सरकारी वकील जेपी सिंह के मुताबिक अभियुक्त झारखंड के जमशेदपुर का रहने वाला है। उसने खुद को इलाहाबाद हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बताकर लखनऊ में जेटीआरआई के अतिरिक्त निदेशक संतोष राय को उनके मोबाइल पर फोन किया। उनसे जेटीआरआई की निदेशक सरोज यादव का हालचाल पूछा। फिर पूछा कि क्या वो किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं, जिसे इंटरनेट बैकिंग आता हो।
इस पर राय ने कहा कि उनके एक मित्र जयंत सिंह तोमर को इंटरनेट बैकिंग की अच्छी जानकारी है। तब इसने कहा कि उनसे बात कराओ। तोमर ने अपने मोबाइल से चीफ जस्टिस बने अभियुक्त के मोबाइल पर फोन किया। उसने कहा कि उनके एक रिश्तेदार पटना में रहते हैं।
उन्हें 10 लाख रुपए की जरुरत है। उनका यह पैसा दूसरे दिन वापस हो जाएगा। तोमर ने उससे एकाउंट का विवरण मांगा। तब उसने कहा कि पहले वो अपना एकाउंट चेक कर लें। फिर उन्हें फोन करें। इस दौरान तोमर ने यह बातचीत रिकार्ड कर लिया और संतोष राय को बताया।
मामला संदेहास्पद देखते हुए इसकी सूचना हाईकोर्ट के सीनियर रजिस्ट्रार मानवेंद्र सिंह को दी गई। सीनियर रजिस्ट्रार ने इसकी जानकारी डीजीपी को दी। 16 अगस्त 2019 को इस मामले की थाना गोमतीनगर में एफआईआर दर्ज कर विवेचना शुरु की गई। विवेचना के दौरान 22 जून, 2020 को अभियुक्त को जमशेदपुर के थाना परसुडीह इलाके से गिरफ्तार कर धोखाधड़ी के इस मामले का खुलासा किया गया।