लखनऊ : गर्भ में पल रहा बच्चा भी हो रहा वायू प्रदूषण का शिकार

लखनऊ : गर्भ में पल रहा बच्चा भी हो रहा वायू प्रदूषण का शिकार

लखनऊ, अमृत विचार। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकान्त ने बताया कि वायु प्रदूषण आज इतना बढ़ चुका है कि माँ के गर्भ में पल रहा शिशु भी उसका शिकार हो रहा है। उन्होंने बताया कि हाइवे के किनारे की कुछ बस्तियों और कुछ सुदूर गाँवों पर किये गए शोध में इस बात का खुलासा हुआ है।

उन्होंने बताया कि देश के 22 सबसे प्रदूषित जनपदों में नौ उत्तर प्रदेश के हैं, जिसमें लखनऊ भी शामिल है। इसलिए हमें सचेत हो जाने की जरूरत है, क्योंकि बिना पिए भी 10 से 15 सिगरेट का धुंआ हमारे फेफड़ों तक पहुंचा रहा है और हमारी सेहत को खराब कर रहा है । वायु प्रदूषण के कारण ही एलर्जी, अस्थमा, ब्रांकाइटिस, टीबी, कैंसर, ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, माइग्रेन, ब्रेन ट्यूमर, मोतियाबिंद, अनिद्रा,चिड़चिड़ापन, बाल झड़ना व जल्दी सफ़ेद होना  लीवर और किडनी सम्बन्धी तमाम दिक्कतें पैदा हो रहीं हैं ।

डॉ. सूर्यकांत ने यह बातें लंग केयर फाउन्डेशन के तत्वावधान में सोमवार को गोमतीनगर स्थित 112- यूपी इमरजेंसी सर्विसेज कार्यालय के सभागार में आयोजित मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला में कहीं । 

लंग केयर फाउन्डेशन के ट्रस्टी राजीव खुराना ने बताया कि हम किसी जश्न पर एक छोटी से चकरी भी जलाते हैं तो करीब 431 सिगरेट के बराबर का धुंआ उससे निकलता है, इसी तरह से अन्य पटाखों से भी होना वाला प्रदूषण सीधे हमारे फेफड़ों को प्रभावित करता है । 24 घंटे के दौरान करीब 25 हजार बार सांस लेते हैं । उन्होंने मीडिया से अपील की कि वातावरण को स्वच्छ बनाने का बीड़ा हम सभी को उठाने की जरूरत है । इसकी शुरुआत आज से ही अपने 20 से 200 मीटर के दायरे में करना शुरू कर देंगे तो खुद के साथ ही अगली पीढ़ी के भी हित में साबित होगा । कार्यशाला के दौरान ही कपूर जलाकर एयर क्वालिटी इंडेक्स पर पड़ने वाले असर का प्रदर्शन भी किया। 

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