कानपुर: हैलट इमरजेंसी में मेडिकल परीक्षण से होता है कार्य प्रभावित

सुबह से लेकर शाम तक परेशान रहे पुलिस कर्मी व अभियुक्त, सिपाही ने प्राचार्य पर लगाया अभद्रता करने का आरोप 

कानपुर: हैलट इमरजेंसी में मेडिकल परीक्षण से होता है कार्य प्रभावित

कानपुर, अमृत विचार। हैलट इमरजेंसी में शनिवार को कुछ थानों से आए अभियुक्तों का मेडिकल परीक्षण नहीं किया गया। पुलिस कर्मियों ने मामले की शिकायत जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से की। प्राचार्य का कहना है कि मेडिकल परीक्षण से इमरजेंसी का कार्य प्रभावित होता है। वही, करीब एक माह पहले दी गई तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया था। 

हैलट अस्पताल की इमरजेंसी में शनिवार सुबह कुछ थानों से एक के बाद एक पुलिस कर्मी अभियुक्तों को लेकर मेडिकल परीक्षण को पहुंच गए, जिससे इमरजेंसी का कार्य प्रभावित होने लगा। इस बात की जानकारी होने पर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला मौके पर पहुंचे। उन्होंने मामले के संबंध में ईएमओ से वार्ता की। 

कहा कि जिनके मेडिकल परीक्षण हो गए है, कोई बात नहीं। अपना मुख्य कार्य इमरजेंसी में आने वाले मरीजों का इलाज करना है। मेडिकल परीक्षण की वजह से इमरजेंसी का कार्य प्रभावित होता है। प्राचार्य प्रो.संजय काला ने बताया कि हैलट में कई थानों के पुलिस कर्मी मेडिकल परीक्षण कराने आते है, जिससे इमरजेंसी का कार्य प्रभावित होता है। 

इस संबंध में सीएमओ से जोन वाइस मेडिकल परीक्षण कराने की वार्ता की गई है। इमरजेंसी में भर्ती होने वाले मरीजों का मेडिकोलीगल किया जाएगा। वही, स्वरूप थाने से आने वाले अभियुक्त का मेडिकल परीक्षण होगा। ताकि इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को परेशानी का सामना न करना पड़े। 

एक माह पहले दी तहरीर, नहीं लिख मुकदमा 
कलक्टरगंज निवासी आकाश गुप्ता ने मुख्यमंत्री पोर्टल में शिकायत की थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि 14 नवंबर को मां ऊषा गुप्ता को हैलट के आईसीयू में भर्ती कराया था, जहां 16 नवंबर की सुबह जूनियर डॉक्टर के एक इंजेक्शन लगाने के बाद उनकी मौत हो गई। 

डॉक्टरों से पूछताछ करने पर डॉक्टरों ने मारपीट की। जबकि मामले में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो.संजय काला द्वारा कराई गई जांच में आरोप निराधार मिले थे। प्राचार्य ने जांच में पाया था कि तीमारदारों ने डॉक्टर के साथ मारपीट की।  डॉक्टर वहां से न भागता तो उसकी जान भी जा सकती है। प्रकरण की तहरीर घटना के बाद स्वरूप नगर थाने में दी थी, लेकिन पुलिस ने मामले में अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं किया है।

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