BSP Leader Anupam Dubey: अनुपम दुबे पर 63 मुकदमे, पहली बार मिली सजा… पढ़ें- छात्र नेता से लेकर माफिया तक की यात्रा

फर्रुखाबाद में बसपा नेता अनुपम दुबे को मिली उम्रकैद की सजा।

BSP Leader Anupam Dubey: अनुपम दुबे पर 63 मुकदमे, पहली बार मिली सजा… पढ़ें- छात्र नेता से लेकर माफिया तक की यात्रा

फर्रुखाबाद में बसपा नेता अनुपम दुबे को कानपुर कोर्ट में उम्रकैद की सजा सुनाई गई। इसके साथ ही कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया।

फर्रुखाबाद, अमृत विचार। फतेहगढ़ कोतवाली के मोहल्ला कसरट्टा निवासी अनुपम दुबे की अब तक 112 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है। मौजूदा समय में अनुपम दुबे पर 63 मुकदमे दर्ज हैं और उसे पहले मुकदमे में सजा सुनाई गई है। 62 मुकदमों में अभी फैसला बाकी है। अनुपम दुबे इस समय आगरा जेल में बंद है।

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार अनुपम दुबे ने पहला अपराध 1987 में किया था। उस समय अनुपम दुबे छात्र संघ नेता था। छात्र संघ चुनाव के पर्चे छपवाने को लेकर प्रिंटिंग प्रेस मालिक करण सिंह कटियार से उसका विवाद हो गया था। जिस पर अनुपम दुबे ने प्रिंटिंग प्रेस के नौकर को गोली मारकर घायल कर दिया था। 

जिस समय अनुपम दुबे ने अपराध की दुनिया में कदम रखा, उस समय फर्रुखाबाद जिले में पुलिस कप्तान के पद पर बीएस सिद्धू तैनात थे। उन्होंने अनुपम दुबे के घर की कुर्की कर सारा सामान दो मंजिल से फेंक कर नष्ट करवा दिया था। इसके बाद अनुपम दुबे छिबरामऊ के ग्राम निगोह निवासी नेम कुमार कुमार उर्फ बिलैया के संपर्क में आ गया और अपराध की लिस्ट बढ़ती चली गई।

अनुपम दुबे का गुरु शरणम होटल तथा मोहम्मदाबाद ,मऊ दरवाजा ,फर्रुखाबाद में प्लाट और मोहल्ला दाल मंडी में मकान, अनुपम दुबे, उसके भाई अमित दुबे और अनुराग दुबे के सभी लग्जरी वाहन कुर्क किए जा चुके हैं। अनुपम दुबे की प्रधानाध्यापक पत्नी को टर्मिनेट किया जा चुका है।

अनुपम का भाई अमित दुबे उर्फ बबन मोहम्मदाबाद ब्लाक से ब्लॉक प्रमुख चुना गया था जो मौजूदा समय में जेल में बंद है। एक भाई अनुराग दुबे उर्फ डब्बन इस समय फरार चल रहा है। उसके ऊपर शासन ने  50000 का इनाम घोषित किया है। 

28 मुकदमे हत्या के, रसूख के दम पर दबी रही फाइल

अनुपम दुबे पर कुल 63 मुकदमे दर्ज हैं जिसमें से 28 हत्या के हैं। उसका रसूख इतना था कि उसके खिलाफ कोई गवाही देने को तैयार नहीं होता था। रसूख के कारण ही उसकी फाइल लोअर कोर्ट में दबी रही। वर्ष 2021 में फाइल सेशन कोर्ट को सौंपी गई, जिसके बाद मामले ने रफ्तार पकड़ी।  

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