बरेली: कोच कम कर दिया जख्म, रेल को सिर्फ आमदनी की परवाह

बरेली, अमृत विचार। अवध असम एक्सप्रेस के यात्रियों की गुरुवार को ट्रेन छूटना सिर्फ एक घटना नहीं बल्कि रेल प्रशासन का दिया हुआ ही जख्म है। रेलवे ने यात्रियों को वंदे भारत ट्रेन तो दी लेकिन अन्य ट्रेनों में स्लीपर कोचों की संख्या कम कर दी।
अवध असम एक्सप्रेस में एक समय में स्लीपर कोचों की संख्या एसी कोचों से ज्यादा होती थी, मगर अब इस ट्रेन के अंदर एसी कोचों की संख्या स्लीपर कोचों से तीन गुना ज्यादा है। जिससे साफ जाहिर कि कई गुना ज्यादा कमाई देने वाले एसी कोच लगाकर रेलवे को सिर्फ अपनी आमदनी दिखाई दे रही है।
अवध असम एक्सप्रेस की मौजूदा रेल संरचना की बात करें तो आरक्षित कोचों में 13 एसी कोच लगाए जाते हैं, जबकि सस्ते सफर की आस रखने वाले आम यात्रियों के लिए महज चार स्लीपर श्रेणी के कोच लगाए जा रहे हैं। वहीं जनरल महज दो कोच लगाए जा रहे हैं।
जबकि इससे पहले इसी ट्रेन के अंदर 10 स्लीपर कोच लगाए जाते थे। यानी एक दम छह स्लीपर कोच कम कर दिये गये। जिसका नतीजा यह हुआ कि ट्रेन के जनरल और स्लीपर कोचों में बेशुमार भीड़ होने लगी। लोगों को कन्फर्म टिकट मिलना ही मुश्किल हो गया। लालगढ़ से डिब्रूगढ़ तक जाने वाली यह ट्रेन बरेली आते-आते ऐसी पैक हो जाती है कि स्लीपर कोचों में जिनका आरक्षण बरेली से है उनके लिए अपनी बर्थ तक पहुंचना किसी जंग लड़ने से कम नहीं।
रेल का सर्वे ही बता देगा सच
रेल प्रशासन द्वारा अर्द्ध वार्षिक सर्वे किया जाता है। बीते दिनों रेलवे हेडक्वाटर के निर्देश पर 263 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों व 63 स्पेशल ट्रेनों में यह सर्वे किया गया था। जिसके मुताबिक अवध असम एक्सप्रेस में करीब 185 प्रतिशत जनरल में और 175 प्रतिशत स्लीपर कोचों में यात्री सफर करते पाये गये थे। यानी अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि इन स्लीपर और जनरल कोचों की हालत क्या होगी।
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