इलाहाबाद हाईकोर्ट: ट्रांसफर आर्डर में हस्तक्षेप नहीं कर सकती कोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट: ट्रांसफर आर्डर में हस्तक्षेप नहीं कर सकती कोर्ट

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक स्थानांतरण मामले में कहा कि कोर्ट ट्रांसफर आर्डर में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है, क्योंकि किसी कर्मचारी का ट्रांसफर नियुक्ति की शर्तों में अंतर्निहित होता है। अदालतों को सार्वजनिक हित में और प्रशासनिक कारणों से किए गए ट्रांसफर आर्डर में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, जब तक कि ट्रांसफर आर्डर किसी अनिवार्य वैधानिक नियम के उल्लंघन या दुर्भावना के आधार पर न किया गया हो। 

सरकारी कर्मचारी एक स्थान से दूसरे स्थान पर ट्रांसफर होने के लिए उत्तरदायी है। सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी ट्रांसफर आर्डर उसके किसी भी कानूनी अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है। अगर अदालतें जारी किए गए ट्रांसफर आर्डर में हस्तक्षेप करेंगी तो सरकार और उसके अधीनस्थ अधिकारियों, प्रशासन में पूर्ण अराजकता फैल जाएगी। 

उक्त आदेश न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र की एकलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए विजय बहादुर सिंह की याचिका पर पारित किया। मामले के अनुसार याची सरकारी कर्मचारी है और कार्य की आवश्यकता के आधार पर उसे जिला आगरा से जिला सहारनपुर ट्रांसफर किया गया। 

याची का तर्क है कि उसे 3 महीने पहले जिला फर्रुखाबाद से जिला आगरा में ट्रांसफर किया गया था और वर्तमान ट्रांसफर आर्डर जल्दबाजी में दिया गया है। इसके अलावा याची ने कोर्ट को यह भी बताया कि वह हृदय रोग से पीड़ित है, इसलिए उसे प्रयागराज या किसी नजदीकी स्थान पर ट्रांसफर किया जाए। 

हालांकि सरकारी अधिवक्ता ने तर्क दिया कि ट्रांसफर आर्डर कार्य की आवश्यकता के आधार पर पारित किया गया है और इसमें किसी प्रकार के हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं है। अंत में कोर्ट ने याची को मेडिकल ग्राउंड पर किसी अन्य स्थान पर अपने ट्रांसफर के लिए अभ्यावेदन के माध्यम से अधिकारियों से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी।

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