हल्द्वानी में बनेगा राज्य का पहला टर्टल ट्रांजिट सेंटर

हल्द्वानी, अमृत विचार। उत्तराखंड का पहला टर्टल ट्रांजिट सेंटर हल्द्वानी के संजय वन में बनाया जाएगा। इस सेंटर में विद्यार्थियों व शोधार्थियों को जलीय जीवों के प्रति जागरूक करने के मकसद से इंटरपिटेशन सेंटर भी होगा।
नमामि गंगे प्रोजेक्ट के अंतर्गत तराई केंद्रीय वन डिवीजन की टांडा रेंज के संजय वन में टर्टल ट्रांजिर सेंटर बनाया जाना है। वन अधिकारियों की मानें तो पश्चिमी वन वृत्त खासकर तराई में कछुओं के शिकार व तस्करी के मामले सामने आते हैं। तस्करी में रेस्क्यू किए गए कछुओं को एक-दो दिन रखने के बाद प्राकृतिक वास स्थल नहर, नदी, जलाशय वगैरह में छोड़ दिया जाता है लेकिन इस अवधि में इन जलीय जीवों की सेहत का परीक्षण नहीं होता है कि उन्हें प्राकृतिक जलाशयों में छोड़ा जाना चाहिए या नहीं।
जलीय जीवों की सेहत की देखभाल के लिए भी कोई इंतजाम नहीं है। इधर, संजय वन में टर्टल ट्रांजिट सेंटर बनने से रेस्क्यू किए गए कछुओं को यहां वहां रखने के बजाय सेंटर में बने पूल में रखा जाएगा। सेंटर में नियुक्त चिकित्सक इन कछुओं की सेहत की जांच करेंगे। यदि सेहत दुरुस्त है तो उन्हें प्राकृतिक वास स्थल में छोड़ दिया जाएगा। यदि कोई गड़बड़ी होती है तो उनका उपचार किया जाएगा। यह राज्य का पहला टर्टल ट्रांजिट सेंटर होगा।
टर्टल की 4 प्रजातियां पाई जाती हैं तराई में
तराई में टर्टल की चार प्रजातियां इंडियन फ्लैपशैल, इंडियन सॉफ्टशैल, इंडियन नैरो हेडेड सॉफ्टशैल पाई जाती हैं।
डब्ल्यूआईआई की टीम ने किया स्थलीय निरीक्षण
हल्द्वानी : भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के विशेषज्ञों ने मंगलवार को टांडा रेंज के अंतर्गत संजय वन का स्थलीय निरीक्षण किया। इस अवसर पर टीम ने पूल बनाने के लिए जगह का चयन किया। साथ ही कछुओं की सेहत की जांच के लिए रूम, इंटरपिटेशन सेंटर वगैरह के लिए जगह देखी। इस दौरान डॉ. विपुल मौर्या, डॉ. मयूर, डॉ. विकास वर्मा आदि मौजूद रहे।
तराई केंद्रीय में वर्ष 2014 से अब तक पकड़े गए कछुओं की सूची
तिथि संख्या
27.11.2013 1
1.09.2014 18
1.10.2014 7 मृत 5 जीवित, मांस व शल्क
10.11.2015 21 जीवित
12.06.2018 28
10.10.2020 मांस व 8 शल्क
13.03.2021 13
30.08.2021 1
30.10.2021 2 जीवित
10.09.2021 8 जीवित
21.09.2021 33 जीवित
22.09.2021 20 जीवित
तराई केंद्रीय वन डिवीजन की टांडा रेंज के संजय वन में टर्टल ट्रांजिट सेंटर प्रस्तावित है। यह राज्य का पहला सेंटर होगा। इसके लिए डब्ल्यूआईआई के विशेषज्ञों ने संजय वन का स्थलीय निरीक्षण किया है। इसमें बच्चों को अन्य जलीय जीवों के प्रति जागरूक करने के लिए इंटरपिटेशन सेंटर भी बनाया जाएगा। जल्द ही सेंटर बनाने का काम शुरू होगा।
- हिमांशु बागरी, डीएफओ तराई केंद्रीय वन डिवीजन हल्द्वानी