सरकार ने दिव्यांग बच्चों का पता लगाने व मदद करने के लिए आंगनवाड़ी प्रोटोकॉल किया शुरू 

सरकार ने दिव्यांग बच्चों का पता लगाने व मदद करने के लिए आंगनवाड़ी प्रोटोकॉल किया शुरू 

नई दिल्ली। सरकार ने दिव्यांग बच्चों का पता लगाने और उनकी मदद करने के लिए आंगनवाड़ी कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करने के वास्ते मंगलवार को एक राष्ट्रीय प्रोटोकॉल शुरू किया। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि यह पहली बार है कि आंगनवाड़ी कर्मी इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाएंगी।

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‘आंगनवाड़ी प्रोटोकॉल फॉर दिव्यांग चिल्ड्रन’ शुरू करने के बाद मंत्री ने कहा,‘‘अगर हम इसे सामुदायिक नजरिए से देखें तो यह हमारे समुदाय में एक मूक क्रांति है।” ईरानी ने कहा कि पहली बार,“आंगनवाड़ियों की बहनें जागरूकता फैलाएंगी कि दिव्यांगता समाज के लिए एक चुनौती नहीं है, बल्कि बच्चे की मदद करने के लिए समाज को उपलब्ध एक अवसर है। मानसिकता बदलने की जरूरत है।”

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 दिव्यांग विद्यार्थियों को मुख्यधारा के स्कूलों में दाखिल कराने की प्राथमिकता पर जोर देती है। ईरानी ने कहा, “ हम जानते हैं कि बच्चे का 85 प्रतिशत मानसिक विकास छह साल की उम्र तक हो जाता है। आज हमारी शिक्षा प्रणाली में दिव्यांग बच्चों के लिए नए प्रावधान हैं...''

ईरानी ने कहा कि दिव्यांग बच्चों के बारे में जमीनी स्तर का डेटा आंगनवाड़ी कर्मियों के माध्यम से उपलब्ध हो जाएगा और पोषण ट्रैकर के माध्यम से बच्चों पर नज़र रखी जा सकेगी। मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, आंगनवाड़ी कर्मी जन्म से छह साल तक के आठ करोड़ से अधिक बच्चों तक दैनिक आधार पर पहुंचते हैं।

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