बरेली: कोरोना काल में गर्भवतियों में बढ़ रहा हेपेटाइटिस का खतरा

बरेली,अमृत विचार। जिले में गर्भवतियों में हेपेटाइटिस संक्रामक रोग तेजी से फैल रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार गर्भवतियों में इसका सबसे बड़ा कारण संक्रमित सुई का प्रयोग होना बताया जा रहा है। गांवों में ज्यादातर लोग झोलाछाप डॉक्टरों से ही इलाज करवाते हैं जिसमें कई केस में संक्रमित सुई का प्रयोग होने से एक व्यक्ति …
बरेली,अमृत विचार। जिले में गर्भवतियों में हेपेटाइटिस संक्रामक रोग तेजी से फैल रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार गर्भवतियों में इसका सबसे बड़ा कारण संक्रमित सुई का प्रयोग होना बताया जा रहा है। गांवों में ज्यादातर लोग झोलाछाप डॉक्टरों से ही इलाज करवाते हैं जिसमें कई केस में संक्रमित सुई का प्रयोग होने से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के शरीर में इस बीमारी के वायरस चले जाते हैं।
महिला जिला अस्पताल में कोरोना काल में अब तक 31 गर्भवतियों में हेपेटाइटिस की पुष्टि हुई है। इनमें से 10 गर्भवतियों में हेपेटाइटिस सी, 21 गर्भवतियों में हेपेटाइटिस बी की पुष्टि हो चुकी है। गर्भवतियों में हेपेटाइटिस की बीमारी होने पर उसके बच्चे में भी यह बीमारी हो सकती है। जिसमें कम भूख लगना, थकान, पेट दर्द, पीलिया, खुजली और फ्लू जैसे लक्षण शामिल हैं। वरिष्ठ फिजिशियनों के अनुसार हेपेटाइटिस से पीड़ित मरीजों में वायरल लोड को देखते हुए अलग-अलग प्रकार की वायरल लोड डोज दी जाती है।
क्या होता है हेपेटाइटिस
हेपेटाइटिस लिवर से जुड़ा एक संक्रामक रोग है, जिसमें लिवर की कोशिकाएं सूज जाने से वो क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। हेपेटाइटिस का मामूली संक्रमण अपने आप ठीक हो जाता है। अगर इसके लक्षण छह महीने से अधिक दिखाई दें, तो वह एक्यूट हेपेटाइटिस की श्रेणी में आता है। क्रॉनिक हेपेटाइटिस के लक्षण लंबे समय तक रह सकते हैं। हेपेटाइटिस पांच प्रकार का होता है जिसमें ए कामन पीलिया को हेपेटाइटिस कहते है। इसमे दवा की जरूरत नहीं होती है यह खाने पीने की चीजों से होता है। यह खतरनाक होता है। इसमें कभी भी लीवर डैमेज हो सकता है।
पिछले छह माह के आंकड़ों पर एक नजर
माह मरीज हेपेटाइटिस सी हेपेटाइटिस बी
मार्च – 5 2 3
मई – 2 1 1
जून- 5 1 4
जुलाई- 9 3 6
अगस्त – 6 1 5
सितंबर- 4 2 2
कुल 31 10 21
“गर्भवतियों में हेपेटाइटिस की पुष्टि होना एक गंभीर समस्या है। इस बीमारी से बचने के लिए जागरुकता की आवश्यकता है। कोरोना के साथ हेपेटाइटिस भी एक संक्रामक रोग है। गर्भवतियों में यह बीमारी होने पर बच्चों में भी आ जाती है।” -डा. अल्का शर्मा, सीएमएस, महिला जिला अस्पताल