अयोध्या: किस मर्ज की दवा करे मरीज..., सरकारी व निजी पैथालॉजी की जांच में रिपोर्ट में अंतर

अयोध्या, अमृत विचार। संक्रामक रोग कहर बरपाए हुए है। डेंगू के भी रोजाना 20 से 25 मामले सामने आ रहे हैं। घर-घर में लोग वायरल फीवर की चपेट में हैं। ऐसे मरीजों को डॉक्टर सीधे जांच लिख रहे हैं, लेकिन जांच में भी बड़ी गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। सरकारी और निजी पैथ लैब्स की जांच में बड़ा अंतर सामने आ रहा है, जिससे मरीज गफलत में है कि वह किस मर्ज की दवा करे।
डेंगू का कहर बहुत ही तेजी से फैला है, जिसका असर शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक दिख रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में सभी निजी व सरकारी चिकित्सालयों में रोगी भर्ती हो रहे हैं। सबसे अधिक समस्या उन रोगियों व उनके परिजनों को हो रही है, जिन्होंने जिला चिकित्सालय व निजी पैथालॉजी में जांच कराई है। दोनों ही जगहों की रिपोर्ट अलग-अलग आ रही है।
केस-1
कोतवाली नगर क्षेत्र के अश्वनीपुरम कालोनी निवासी राजेश श्रीवास्तव ने डेंगू की जांच जिला चिकित्सालय में कराई थी। उन्हें बताया गया कि रिपोर्ट तीन दिन बाद मिलेगी। शाम को राजेश की तबियत अधिक खराब हो गई तो उसने उसी दिन शाम को एक निजी चिकित्सालय में जांच कराई। रिपोर्ट में प्लेटलेट्स की संख्या 1.12 लाख आई, लेकिन राजेश को जब जिला अस्पताल की पैथोलॉजी से रिपोर्ट मिली तो वह सन्न रहा गया। उन्होंने देखा कि रिपोर्ट में महज 22 हजार ही प्लेटलेट्स थी।
केस-2
डाभासेमर स्थित मलिकपुर निवासी 19 वर्षीय स्नेह पाठक बुखार से पीड़ित थे। कुछ दिन पहले उन्होंने अपने घर के नजदीक ही इलाज कराया, लेकिन आराम न मिला तो डॉक्टर ने उन्हें जांच कराने की सलाह दी। उन्होंने रिकाबगंज स्थित एक निजी लैब में जांच कराई। जैसे ही निकले तो उनकी तबीयत गड़बड़ हो गई। इसके बाद वह सीधे जिला अस्पताल में डॉक्टर के पास पहुंच गए। वहां भी जांच करा ली, लेकिन दो दिन जब दोनों जगहों से रिपोर्ट मिली तो स्नेह भौचक्के रह गए। निजी पैथ लैब की रिपोर्ट में टाइफाइड निगेटिव था, जबकि जिला अस्पताल की रिपोर्ट में टाइफाइड पॉजीटिव आया था।
जानिए क्या बोले जिम्मेदार
"जिला अस्पताल में जांच की संख्या बढ़ी है। काफी भीड़ होने से कुछ रिपोर्ट गलत हो सकती है। फिलहाल कोशिश यही रहती है कि रिपोर्ट सही व पारदर्शी रहे..," डॉ. बृज कुमार, सीएमएस।
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