मानहानि मामला: उद्धव ठाकरे और संजय राउत को अदालत से नहीं मिली राहत, याचिका खारिज 

मानहानि मामला: उद्धव ठाकरे और संजय राउत को अदालत से नहीं मिली राहत, याचिका खारिज 

मुंबई। मुंबई की एक अदालत ने मानहानि के एक मामले में आरोपमुक्त करने के अनुरोध वाली शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और पार्टी सांसद संजय राउत की याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। ठाकरे और राउत ने उक्त याचिका शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी गुट के नेता राहुल शेवाले द्वारा उनके खिलाफ मानहानि के एक मामले में दायर की थी। शेवाले ने अपनी शिकायत में ठाकरे और राउत पर शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र "सामना" में उनके खिलाफ अपमानजनक लेख प्रकाशित करने का आरोप लगाया है। 

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ठाकरे "सामना" के संपादक हैं, वहीं राउत इसके कार्यकारी संपादक हैं। शेवाले लोकसभा में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के नेता हैं। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (मडगांव अदालत) एस बी काले ने मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे और राज्यसभा सदस्य राउत की याचिका खारिज कर दी। अदालत का विस्तृत आदेश अभी उपलब्ध नहीं है। अदालत ने साक्ष्य दर्ज करने के लिए मामले की सुनवायी नौ नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी। 

शेवाले ने "सामना" के मराठी और हिंदी संस्करणों में उनके खिलाफ "अपमानजनक" लेख प्रकाशित करने को लेकर ठाकरे और राउत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 500 और 501 के तहत कार्रवाई का अनुरोध किया है। ठाकरे और राउत ने अपनी याचिका में कहा था कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। उन्होंने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि उन्हें ‘‘संदेह के आधार पर कथित अपराध में झूठा फंसाया गया है।’’ 

शेवाले ने इस साल जनवरी में वकील चित्रा सालुंके के माध्यम से अपनी शिकायत दायर की थी। शेवाले ने 29 दिसंबर, 2022 को प्रकाशित "राहुल शेवाले का कराची में होटल, रियल एस्टेट व्यवसाय है" शीर्षक वाले आलेखों पर आपत्ति जतायी थी। उनकी याचिका में कहा गया है, "शिकायतकर्ता उक्त लेखों में लगाए गए सभी आरोपों का दृढ़ता से खंडन करते हैं और स्पष्ट करते हैं कि यह आम जनता के सामने उनकी छवि धूमिल करने के लिए शिकायतकर्ता के खिलाफ झूठे आरोप लगाकर उनकी प्रतिष्ठा और राजनीतिक करियर को क्षति पहुंचाने का एक कमजोर प्रयास है।’’ इसमें कहा गया है कि लेख "मनगढ़ंत कहानी", "निराधार" और "प्रतिशोध पत्रकारिता" का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

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