मुरादाबाद : किंशुक श्रीवास्तव ने दृढ़ संकल्प से पूरी की माता-पिता की इच्छा, बोलीं- नारी खुद को अबला नहीं शक्ति स्वरूपा समझे
नमो देव्यै :बेटियों को दिलाएं उच्च शिक्षा-सुरक्षा तो छू लेंगी आसमां, परंपरागत की जगह व्यवसायिक शिक्षा को अपनाने से हासिल होगी सफलता

सिटी मजिस्ट्रेट किंशुक श्रीवास्तव।
मुरादाबाद,अमृत विचार। डरें नहीं, डटकर विपरीत परिस्थितियों का मुकाबला करने के संकल्प में विश्वास करने वाली सिटी मजिस्ट्रेट किंशुक श्रीवास्तव नारी सशक्तीकरण की प्रबल पक्षधर हैं। वह कहती हैं कि अभिभावक अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा और सुरक्षा प्रदान करें तो वह आसमां भी छू सकती हैं।
बस्ती जिले की हरैया तहसील की रहने वाली सिटी मजिस्ट्रेट किंशुक के पिता सत्यनरायन श्रीवास्तव भी सिविल सेवा में रहे और मां आशा श्रीवास्तव गृहिणी हैं। पिता व मां की लाडली किंशुक शुरू से ही पढ़ाई में मेधावी थीं। पिता सत्यनारायन श्रीवास्तव उन्हें भी प्रशासनिक अधिकारी के पद पर देखना चाहते थे। माता-पिता की इच्छा को किंशुक ने अपनी मेहनत, प्रतिभा और दृढ़ संकल्प से सच कर दिखाया और 2015 बैच में पीसीएस की परीक्षा उतीर्ण कर प्रशासनिक अधिकारी बन गईं।
विधि स्नातक हैं किंशुक
शुरू से पढ़ाई में मेधावी रहीं किंशुक ने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की डिग्री हासिल की है। वह खुद की तरह चाहती हैं कि सभी बेटियां उच्च शिक्षित होकर खुद आर्थिक रूप से सक्षम और समर्थ रहें। आज के प्रतिस्पर्धी दौर में वह परंपरागत की जगह प्रोफेशनल शिक्षा को प्राथमिकता देती हैं।
सीतापुर में हुई पहली तैनाती
किंशुक श्रीवास्तव की पहली तैनाती सीतापुर जिले में 2018-19 में एसडीएम के पद पर हुई। इसके बाद लखनऊ, सहारनपुर में इसी पद की जिम्मेदारी निभाते हुए वह इस साल 6 जुलाई को मुरादाबाद में डिप्टी कलेक्टर बनकर आईं और वर्तमान में सिटी मजिस्ट्रेट के पद पर रहकर महानगर की कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने में जुटी हैं।
नारी खुद को अबला नहीं शक्ति स्वरूपा समझे
किंशुक कहती हैं कि समाज नारी को चाहे कुछ भी समझे लेकिन उसे खुद को अबला नहीं शक्ति स्वरूपा समझना चाहिए। पार्वती दुर्गा, मां काली के रूप में नारी ने शक्ति पाई है तो मर्यादा का पालन कर वह समाज और परिवार की सृजनहार भी है। वह कहती हैं कि अपनी मेहनत और दृढ संकल्प से बछेंद्री पाल ने एवरेस्ट फतह कर ऐसा करने वाली प्रथम भारतीय महिला होने का गौरव प्राप्त किया तो कल्पना चावला ने प्रथम भारतीय महिला के रूप में अंतरिक्ष में पहुंचकर अपनी बुलंदी साबित की है। उनसे प्रेरणा लेकर बेटियों को जीवन में सफलता के शिखर पर पहुंचकर खुद को साबित कर दिखाना चाहिए।
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