मुरादाबाद : लगन व कर्मठता से किसान की बेटी बनी अधिकारी

नमो देव्यै  : प्रीति ने जुनून के दम पर पाई सफलता, नारी सशक्तीकरण के अभियान से जुड़कर दिखा रहीं कामयाबी की राह

मुरादाबाद : लगन व कर्मठता से किसान की बेटी बनी अधिकारी

प्रीति सिंह, डिप्टी कलेक्टर मुरादाबाद (जिला कार्यक्रम अधिकारी)

मुरादाबाद, अमृत विचार। बेटियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिले तो वह अपनी मेहनत और कर्मठता से आसमां भी छू सकती हैं। गांव की पगडंडियों से होकर डिप्टी कलेक्टर बनने का सफर तय कर गोरखपुर जिले की प्रीति सिंह ने यह साबित कर दिखाया है। जीवन में कुछ करने का जुनून हो तो आसमां भी दूर नहीं। 
हम बात कर रहे हैं, मुरादाबाद में जिला कार्यक्रम अधिकारी का दायित्व निभा रहीं डिप्टी कलेक्टर प्रीति सिंह की। गोरखपुर जिले के बांस गांव कस्बे में साधारण किसान रवि प्रताप सिंह के घर जन्मी प्रीति के परिवार में उनसे छोटी चार बहनें हैं। उनके बड़े भाई भी हैं।

खेती किसानी कर परिवार की गुजर बसर करने वाले पिता ने बेटियों को कभी बेटे से कम न माना। प्रीति की आरंभिक पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल में कक्षा एक से पांच तक हुई। इसके बाद गांव के ही पास स्थित कस्बे भटौली से उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। लेकिन कदम यहीं नहीं रुके और गोरखपुर विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल की। उनके मन में तो उच्च सफलता के सपने पल रहे थे। 2005 में उन्होंने पीसीएस की परीक्षा दी, लेकिन साक्षात्कार में असफल रही। इसके बाद 2008 में फिर से पीसीएस में किस्मत आजमाई और इस बार उन्हें सफलता हासिल हुई।

तीन वर्ष पीसीएस परीक्षा परिणाम देरी से आने के कारण उनका चयन 2011 में नायब तहसीलदार के पद पर कुशीनगर में हुआ। चार साल के कार्यकाल के बाद उन्हें सहारनपुर में नायब तहसीलदार के पद पर स्थानांतरित किया गया। फिर एक साल बाद पदोन्नत कर तहसीलदार बनीं और 2019 में बिजनौर में तहसीलदार और फिर एसडीएम बिजनौर का दायित्व मिला। 2022 में डिप्टी कलेक्टर के रूप में वह मुरादाबाद आईं। इस समय वह जिला कार्यक्रम अधिकारी का अतिरिक्त दायित्व भी संभाल रहीं हैं।

शिक्षा को गहना मान जीवन में आगे बढ़ें
प्रीति कहती हैं कि शिक्षा सफलता की कुंजी ही नहीं वह जीवन का गहना है। शिक्षा का गहना यदि महिलाओं ने धारण कर लिया तो उनके पास किसी और चीज की कमी नहीं रहेगी। वह किसी भी स्थिति का मुकाबला आसानी से कर सकेंगी। महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान को वह और प्रभावी बनाना चाहती हैं। वह बालिका शिक्षा खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक ध्यान देने की पक्षधर हैं। क्योंकि परिवार व समाज की बेड़ियों में जकड़ी ग्रामीण परिवेश की बेटियां उच्च शिक्षा से अक्सर वंचित रह जाती हैं। वह कहती हैं बेटियों को पढ़ने और निखरने का पूरा अवसर मिलना चाहिए। क्योंकि नारी बिना शिक्षा के सशक्त नहीं हो सकती।

प्रीति अपनी बहनों में हैं सबसे बड़ी 
प्रीति अपनी बहनों में सबसे बड़ी हैं। उनसे बड़े भाई कस्बे में ही मेडिकल स्टोर संचालित करते हैं। छोटी बहन ज्योति, शिवानी, नेहा सभी की पढ़ाई के बाद रीति रिवाज से शादी की गई। प्रीति की शादी 2011 में कुशीनगर में नायब तहसीलदार के पद पर रहते हुए बलिया के बहापुर गांव के मनोज सिंह के साथ हुई थी। मनोज सिंह इस समय लखनऊ सचिवालय में तैनात है। उनका 9 वर्ष का एक बेटा आदित्य है। 

परिचित के चलते मिली प्रेरणा 
वह बताती हैं कि बांस गांव कस्बे में न्याय पालिका में एक परिचित जज थे। प्रीति अपने पिता के साथ जब उनसे मिलने के लिए आती थीं तो वह उनके रुतबे से प्रभावित हुईं और प्रशासनिक अधिकारी बनने की ठान ली और इसे सच भी कर दिखाया।  

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