बरेली: एंटीजन से निकले पॉजिटिव, आरटीपीसीआर में आ रहे निगेटिव
बरेली, अमृत विचार। जिले में कोरोना काल से ही स्वास्थ्य महकमें में कोई न कोई मामला सुर्खियों में रहता है। इस बार स्वास्थ्य विभाग कोरोना की जांच को लेकर घिरा नजर आ रहा है। एंटीजन जांच को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कई लोग एंटीजन जांच में पॉजिटिव आए जबकि आरटीपीसीआर जांच में वह निगेटिव …
बरेली, अमृत विचार। जिले में कोरोना काल से ही स्वास्थ्य महकमें में कोई न कोई मामला सुर्खियों में रहता है। इस बार स्वास्थ्य विभाग कोरोना की जांच को लेकर घिरा नजर आ रहा है। एंटीजन जांच को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कई लोग एंटीजन जांच में पॉजिटिव आए जबकि आरटीपीसीआर जांच में वह निगेटिव पाए गए। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने गाइड लाइन के तहत इन लोगों को निगेटिव मान लिया।
लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि अगर ये लोग आरटीपीसीआर जांच नहीं कराते तो पॉजिटिव ही माने जाते और इलाज के दौरान इन्हें मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता।
इस मामले में संक्रामक रोग विशेषज्ञ माइक्रोबायोलॉजिस्ट डा. राहुल कुमार गोयल का कहना है कि आरटीपीसीआर संपूर्ण जांच है जबिक एंटीजन रैपिड जांच है। एंटीजन जांच में जितने संक्रमित मिले हैं तत्काल उनका सैंपल लेकर आरटीपीसीआर की जांच करा ली जाए तभी स्थिति साफ हो पाएगी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को प्रयास करना चाहिए।
एंटीजन रिपोर्ट पर नहीं था भरोसा इसलिए कराई आरटीपीसीआर जांच
केस एक
मिनी बाईपास स्थित एक कालोनी के 50 वर्षीय व्यक्ति दिल्ली से लौटे थें। कैंप में उन्होंने एंटीजन की जांच कराई तो रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि हुई। जिससे वह तनाव में आ गए। उन्होंने जागरूकता दिखाते हुए अगले ही दिन आरटीपीसीआर से जांच कराई। जांच के दो दिन बाद रिपोर्ट निगेटिव आई। एंटीजन रिपोर्ट में पॉजिटिव आने पर पड़ोसियों ने आपत्ति जताना शुरू कर दिया था। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने आरटीपीसीआर की जांच पर मुहर लगा कर उन्हें निगेटिव मान लिया।
केस दो
बीते दिनों एक सीएचसी के स्वास्थ्य कर्मी की रिपोर्ट एंटीजन से पाजिटिव आई । अगले ही दिन युवक ने 300बेड अस्पताल में आरटीपीसीआर जांच कराई। दो दिन बाद युवक की रिपोर्ट निगेटिव आई। जिस पर स्वास्थ्य कर्मी ने अपने ही विभाग को खूब खरी खोटी सुनाई।
“एंटीजन से परिणाम जल्दी मिलता है। वहीं आरटीपीसीआर जांच के लिए जब मरीज का सैंपल लिया जाता है तब रिपोर्ट आने में कम से कम दो-तीन दिन का समय लगता है। इस दौरान मरीज के शरीर में वायरल लोड कम हो जाता है। जिससे रिपोर्ट निगेटिव आने की संभावना बढ़ जाती है।”– डा. रंजन गौतम, जिला सर्विलांस अधिकारी।