पीलीभीत: मुख्यमंत्री के जाते ही बेपरवाह वन विभाग, बाघिन से खुद ही बचाएं जान...नहीं दिखे जिम्मेदार
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पीलीभीत/ माधोटांडा,अमृत विचार। बाघिन को लेकर कई दिनों से चल रही निगरानी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे के बाद खत्म हो गई है। वन विभाग के अफसरों की ओर से बाघिन को पकड़ने के लिए कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है। जबकि बाघिन आबादी के बीच अभी भी अपना डेरा जमाए बैठी है। बाघिन का रेस्क्यू न होने के कारण ग्रामीणों में आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि अफसरों ने ग्रामीणों को नजरबंद करते हुए सीएम से अवार्ड तो ले लिए, लेकिन हकीकत नहीं बताई।
कलीनगर तहसील क्षेत्र के गांव बांसखेड़ा में 28 सितंबर से बाघिन एक आम के बाग में डेरा जमाए बैठी है। बाघिन को ट्रैंक्यूलाइज करने के लिए दो बार रेसक्यू ऑपरेशन किया गया लेकिन अभी तक बाघिन पकड़ में नहीं आई।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व और सामजिक वानिकी टीम के फेल होने के बाद अफसरों ने दुधवा नेशनल पार्क के डॉ. दया और रामपुर के डीएफओ राजीव कुमार को कमान सौंपी थी। क्योंकि अफसरों को डर था कि सीएम के दौरे के दौरान कोई बवाल न हो जाए।
लेकिन सीएम का दौरा होने तक टीम मौके पर बाघिन को रेस्क्यू करने के लिए मौके पर जुटी रही। हालांकि रेस्क्यू नहीं कर पाई। सीएम के दौरे से एक दिन पहले रामपुर के डीएफओ राजीव कुमार , दुधवा के एक्सपर्ट डॉ. दया और रेंजर रॉबिन कुमार टीम के साथ मौके पर पहुंचे थे।
दूरबीन से बाघिन की लोकेशन ट्रेस की गई। लेकिन बाघिन का कुछ पता नहीं चल सका। बताते हैं कि शुक्रवार को सीएम योगी आदित्यनाथ का दौरा पूरा हो गया फिर शनिवार को बांसखेड़ा गांव में कोई भी टीम बाघिन की लोकेशन देखने के लिए तक नहीं पहुंची । इसको लेकर ग्रामीणों में रोष है। ग्रामीण स्वयं ही अपने जानमाल की सुरक्षा करने में जुटे हैं।
उनका कहना है कि वन विभाग ने गांव के लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया है। रेस्क्यू के नाम पर सिर्फ ड्रामा चल रहा था। वन विभाग की टीम ने बाघिन को निकल दिया। धरातल पर बाघों के संरक्षण और मानव संघर्ष की घटनाएं रोकने को लेकर कोई काम नहीं हुआ है।
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