बरेली: जुलूस-ए-मोहम्मदी... निगाहें थीं जोगीनवादा पर, मीरा की पैठ में बाल-बाल बचा बवाल, RAF-PSC तैनात

दोनों समुदायों के हजारों लोगों के बीच दीवार बन गई पुलिस और आरएएफ, कई बार लाठी चलाईं, तब टला टकराव

बरेली: जुलूस-ए-मोहम्मदी... निगाहें थीं जोगीनवादा पर, मीरा की पैठ में बाल-बाल बचा बवाल, RAF-PSC तैनात

बरेली, अमृत विचार। सावन के महीने में कांवड़ यात्रा के दौरान हुए बवाल के बाद जोगीनवादा का माहौल अब तक पूरी तरह शांत नहीं हो पाया था। हाल ही में जोगीनवादा में जुलूस-ए-मोहम्मदी के दौरान अंजुमनों के विरोध ने जोर पकड़ा तो अफसरों की निगाहें फिर इसी इलाके पर जम गईं। अफसरों ने एक दिन पहले मंगलवार को ही जोगीनवादा में दोनों पक्षों के बीच पंचायत कर समाधान का रास्ता तय करा दिया और कुछ हद तक निश्चिंत हो गए, लिहाजा बुधवार रात जब अचानक मीरा की पैठ में टकराव शुरू हुआ तो उनके होश उड़ गए। हालांकि फिर भी अफसरों ने बहुत तेजी से सक्रिय होकर बड़ा बवाल टाल दिया।

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मीरा की पैठ में शाम करीब आठ अंजुमनों के रास्ते में रुकने के बाद दोनों ओर से भीड़ इकट्ठी होनी शुरू हो गई थी। एक समुदाय के लोग गैरपरंपरागत रास्ता बताते हुए उन्हें आगे न बढ़ने देने पर अड़ा हुआ था तो दूसरे समुदाय की भीड़ इसी रास्ते को परंपरागत बताते हुए आगे बढ़ने पर उतावली थी। मौके पर मौजूद पुलिस फोर्स और आरएएफ के जवानों ने आमने-सामने इकट्ठी दोनों समुदायों की भीड़ को नजदीक न आने देने के लिए पूरी ताकत लगा दी। कई बार पुलिस और आरएएफ ने हल्कीफुल्की लाठी हवा में चलाकर भीड़ को पीछे हटाया। एक-एक कर पुलिस अफसरों के साथ जब दूसरे थानों का फोर्स और पीएसी पहुंचनी शुरू हुई तब कहीं स्थिति काबू में आनी शुरू हुई। इसके बाद भारी पुलिस फोर्स दोनों समुदायों के बीच दीवार बनकर खड़ा हो गया।

भारी तनाव के माहौल में पुलिस और प्रशासन के अफसरों ने इसके बाद दोनों समुदायों के लोगों से बातचीत शुरू की लेकिन शुरू के दो घंटे तक दोनों में से कोई पक्ष उनकी सुनने को तैयार नहीं हुआ। अंजुमन भी इस बीच जहां की तहां खड़ी रहीं। इस बीच लगभग पूरे जिले का पुलिस फोर्स शहर में इकट्ठा हो गया। जोगीनवादा में चौकी इंचार्ज रह चुके सीओ रूपेंद्र गौड़ को भी दोनों समुदायों में अच्छी पैठ होने के कारण बुला लिया गया। लगातार समझाने-बुझाने के बाद रात 11 बजे के बाद माहौल धीरे-धीरे शांत होना शुरू हुआ। रात करीब 12 बजे अफसरों ने दूसरे समुदाय के लोगों को दूसरे रास्ते से निकलने के लिए तैयार कर लिया।

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शुरुआती 20 मिनट में पुलिस-आरएएफ की तत्परता ने रोक दिया बड़ा बवाल
रात आठ बजे जब अंजुमनें मीरा की पैठ से गुजर रही थीं तो सुरक्षा ड्यूटी में वहां एक सीओ के साथ सामान्य संख्या में पुलिस फोर्स और आरएएफ के जवान तैनात थे। कुसुम कुमारी इंटर कॉलेज के पास जब अंजुमनों को रोकने के बाद भीड़ इकट्ठी हुई तो कुछ ही देर में माहौल काफी गर्म हो गया। मौके पर मौजूद पुलिस और आरएएफ के जवानों ने और पुलिस फोर्स और पीएसी के आने तक जैसे-तैसे दोनों समुदायों के लोगों को जहां के तहां रोके रखा। माना जा रहा है कि अगर बवाल होता तो मौके पर मौजूद पुलिस और आरएएफ के लिए भी खुद को बचाना मुश्किल हो सकता था लेकिन उन्होंने इसकी परवाह की। करीब 20 मिनट बाद दूसरे थानों से फोर्स पहुंचा। इस बीच अगर तत्परता न दिखाई जाती तो बवाल रोकना मुश्किल होता।

पुलिस के पहचान करने के डर से फोटो खींचने पर भड़के जुलूस में शामिल लोग
मीरा की पैठ और जगतपुर में दोनों ओर से बैरिकेडिंग कर दी गई थी ताकि हालात खराब न हों। इस दौरान कुछ मीडिया कर्मियों ने भीड़ के फोटो खींचने शुरू किए तो जुलूस में शामिल लोग उत्तेजित होकर विरोध करने लगे। भीड़ ने बैरिकेडिंग तोड़ने की भी कोशिश की लेकिन फोर्स ने उन्हें रोक दिया। दूसरे समुदाय के लोग फोटो खींचने पर इसलिए भड़क रहे थे कि कहीं उनके फोटो के आधार पर पुलिस उनकी पहचानकर रिपोर्ट दर्ज न कर ले।

ड्रोन से शुरू कराई निगरानी, गलियों में फटकारी लाठियां
विवाद के दौरान गलियों में लोगों की भारी भीड़ इकट्ठी हो गई। उसे हटाने के लिए पुलिस और आरएएफ को कई बार गलियों में घुसकर लाठियां फटकारनी पड़ी। इसी बीच अफसरों ने ड्रोन कैमरों से भी लोगों के छतों की निगरानी शुरू करा दी। एसपी सिटी और सीओ दोनों समुदायों के संभ्रात लोगों से शांति बनाने की अपील करते रहे लेकिन स्थिति काफी देर तक तनावपूर्ण बनी रही।

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