प्रधानमंत्री आवास: योजना है गरीबों के नाम...दलालों के हाथ अंजाम, जानिए पूरा मामला
डूडा कार्यालय में दलालों की भरमार, मुश्किलों का सामना करते हैं पात्र, जोड़तोड़ करने वालों का आसानी से हो जाता है काम
फोटो- डूडा कार्यालय में लगी भीड़।
बरेली, अमृत विचार। प्रधानमंत्री आवास मिलना बहुत मुश्किल भी है और आसान भी। मुश्किलें उन्हें झेलनी पड़ती हैं जो अपनी पात्रता के दम पर उसे हासिल करना चाहते हैं, लेकिन सिस्टम को सेट करने का तरीका जानने वाले सीधे दलाल को पकड़कर आवास हथियाने में कामयाब हो जाते हैं। डूडा के दफ्तर में रोज पहुंचने वाली जरूरतमंदों की भीड़ में तमाम लोग ऐसे होते हैं जो सालों से दौड़ लगा रहे हैं। दलाल और कुछ पार्षद भी यहां जाने पहचाने चेहरे हैं जो आवास स्वीकृत कराने या लाभार्थियों की किस्त का पैसा खातों में डलवाने के लिए नियमित रूप से यहां पहुंचते हैं।
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शहरी क्षेत्र में गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्के मकान के लिए पात्र गरीबों के चयन की जिम्मेदारी डूडा यानी डिस्ट्रिक्ट अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी के हवाले की गई है। हर साल इसके लिए लक्ष्य तय किए जाते हैं जो पात्रता के बावजूद आवास मंजूर न होने या आवास मंजूर होने के बावजूद किस्तों के समय से बैंक खातों में न पहुंचने के तमाम आरोपों और शिकायतों के साथ पूरे होते हैं।
इस योजना में तीन किस्तों में 2.5 लाख रुपये की धनराशि लाभार्थी को मिलती है। जांच में ऐसे आरोपों की पुष्टि होने के बावजूद सख्त कार्रवाई न होने की वजह से इनकी संख्या में कोई कमी भी नहीं आती। पीएम शहरी आवास योजना में 26835 पात्रों को लाभ देने के लक्ष्य की तुलना में इस वित्तीय वर्ष में 26466 को पहली, 24708 को दूसरी और 13960 को तीसरी किस्त का भुगतान किया गया है।
डूडा कार्यालय में मिले नवादा शेखान के सुरेश ने बताया कि वह ठेला चलाते हैं। उन्होंने पीएम आवास के साथ स्वनिधि योजना के तहत भी ऋण का आवेदन किया था, लगातार चक्कर भी काट रहे हैं लेकिन अब तक दोनों में से एक भी योजना का लाभ नहीं मिला है। डूडा कार्यालय में कर्मचारी सिर्फ उन्हीं की सुनते हैं जो उनकी मुट्ठी गर्म कर देते हैं। बोले, यह कार्यालय दलालों का अड्डा बन गया है। कोई देखने वाला भी नहीं है।
...एपीओ के ट्रांसफर के बाद कर्मचारी और बेलगाम
सहायक परियोजना अधिकारी राकेश कुमार पर पिछले कुछ महीने से बरेली का अतिरिक्त प्रभार था। हाल ही में उनका ट्रांसफर होने के बाद अब एडीएम प्रशासन को इस विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। नाम नहीं छापने का आग्रह करते हुए एक कर्मचारी ने ही बताया कि एडीएम प्रशासन को जिम्मेदारी जरूर दे दी गई है, लेकिन वह यहां नहीं आते, इसलिए ज्यादातर कर्मचारी और बेलगाम हो गए हैं।
पात्रता है फिर भी सालों से चक्कर
घर की मरम्मत कराने के लिए लोन की बात कही थी। दो साल से चक्कर लगा रही हूं। पार्षद ने भी वादा किया था। यहां तो सब पैसा खाने में लगे हुए हैं, काम कोई नहीं कर रहा है---रुखसाना, हजियापुर।
कुछ दिन पहले शिविर में डूडा कर्मियों ने कहा था आधार कार्ड पर 10 हजार का लोन मिल जाएगा। अब 15 सौ रुपये मांग रहे हैं। 10 दिन से चक्कर काट रहा हूं, कोई सुनता ही नहीं--- बिलाल, जोगीनवादा।
स्वनिधि में 10 हजार का लोन लिया था। इसे चुकाने के बाद 20 हजार के लोन के लिए आवेदन किया, सारी प्रक्रिया हो गई, बैंक ने एनओसी भी दे दी, फिर भी चक्कर कटवाए जा रहे हैं--- रामरतन, सुभाषनगर।
एक कर्मचारी कुछ दिन पहले आकर खुद काे डूडा से आना बताकर पीएम आवास के लिए एक हजार रुपये एडवांस मांग रहा था। डूडा ऑफिस आए तो कह रहे हैं कि फार्म नहीं मिलेगा---राजवती, शांति बिहार।
पीएम आवास के लिए चार साल से चक्कर लगा रहे है, बाद में आवेदन करने वाले अधिकांश के घर तैयार हो गए हैं। सुविधा शुल्क नहीं दिया इसलिए अब तक आवास स्वीकृत नहीं हो सका---आकाश, जोगीनवादा।
पीएम स्वनिधि योजना गरीबों के साथ मजाक है। एक महीने पहले डूडा कार्यालय आया था, अब फिर आया हूं, सेटेलाइट बस स्टैंड के पास फड़ लगता हूं, आज फिर फार्म जमा किया है--- राजू राठौर नवादा शेखान।
पीएम स्वनिधि योजना का लोन भी बगैर कमीशन नहीं
पीएम आवास की तरह पीएम स्वनिधि योजना का लाभ भी बगैर कमीशन दिए मिलना मुश्किल है। इस योजना में बिना गारंटी रेहड़ी-पटरी वालों को 10 से 50 हजार रुपये तक लोन दिया जाता है। इसके लिए डूडा कार्यालय में सुबह से शाम तक भीड़ लगी रहती है। शिकायतें हैं कि आवेदन करने के बाद दलाल जमकर वसूली करते हैं। स्वनिधि योजना में तीन चरणों में लोन मिलता है।
दस हजार रुपये का लोन पाने के लिए 43702 आवेदन आए, इनमें 40865 स्वीकृत हुए और 39757 को लोन दे दिया गया। 20 हजार रुपये के लिए 14836 के सापेक्ष 13362 आवेदन स्वीकृत करके 13021 लोगों को लोन दिया जा चुका है। 50 हजार के लिए 927 लोगों ने आवेदन किया है। इसमें 739 आवेदन स्वीकृत किए गए हैं।
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