विवाद का बदला लेने के लिए पिता द्वारा अपनी नाबालिग बेटी के सम्मान को दांव पर लगाना स्वाभाविक नहीं

विवाद का बदला लेने के लिए पिता द्वारा अपनी नाबालिग बेटी के सम्मान को दांव पर लगाना स्वाभाविक नहीं

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में आरोपी व्यक्ति की सजा को बरकरार रखते हुए जमानत अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि किसी भी पिता के लिए पिछले विवाद का बदला लेने के लिए अपनी नाबालिग बेटी के सम्मान को दांव पर लगाना स्वाभाविक नहीं है। उक्त मामले में न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार (चतुर्थ) की खंडपीठ ने निष्कर्ष निकाला कि ट्रायल कोर्ट ने सबूतों की जांच के बाद आरोपी को आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत उचित ढंग से दोषी ठहराया है।

यह मामला याची के विरुद्ध गौतम बुद्ध नगर के सेक्टर 58 में दर्ज प्राथमिकी से संबंधित है। हालांकि आरोपी के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आरोपी निर्दोष है और उसे मामले में झूठा फंसाया गया है। घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। इसके साथ ही अपीलकर्ता और पीड़िता के माता-पिता के बीच पहले से विवाद चल रहा था। अतः यह संभव है कि उससे बदला लेने के लिए उस पर झूठा आरोप लगाया गया हो।

अंत में यह भी तर्क दिया गया कि अपील कर्ता पहले ही 13 साल से अधिक कारावास की सजा काट चुका है। अतः सजा मुकर्रर करते समय उसके द्वारा भुगते गए कारावास पर भी विचार करना चाहिए। मामले से जुड़े सबूत और परिस्थितियों पर विचार करते हुए कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के पिता ने लंबी क्रॉस एग्जामिनेशन प्रक्रिया का सामना किया है। इससे उसके बयान पर संदेह नहीं रह जाता है। कोर्ट ने आगे कहा कि पीड़िता ने भी आरोपी पर दुष्कर्म का स्पष्ट आरोप लगाया है।

मेडिकल जांच से भी पीड़िता पर यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित सजा को संशोधित करते हुए आजीवन कारावास की सजा को 14 वर्ष के कठोर कारावास में परिवर्तित कर दिया। मामले के अनुसार 10 जून 2010 को शिकायतकर्ता की बेटी अन्य बच्चों के साथ घर के बाहर खेल रही थी।

तभी आरोपी वहां कार से आया और उसने पीड़िता के साथ अन्य तीन-चार बच्चों को फुसलाकर कार में बिठा लिया। कुछ दूरी तय करने के बाद उसने अन्य बच्चों को कार से उतार दिया और पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया तथा घायल अवस्था में उसे नोएडा के ए-ब्लॉक सेक्टर 62 के पास सड़क के किनारे फेंक दिया। मामले की जांच और सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार दिया, जिससे असंतुष्ट होने पर आरोपी ने वर्तमान अपील दाखिल की थी।

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