प्रयागराज: कब्रिस्तान के रूप में दर्ज जमीन को एक महीने के अंदर मंदिर ट्रस्ट को लौटाने का निर्देश

प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के मथुरा में बांके बिहारी मंदिर की जमीन को राजस्व अभिलेखों में कब्रिस्तान दर्ज किए जाने के मामले में शुक्रवार को सुनवाई हुई, जिसमें राजस्व विभाग को विवादित भूमि 1 महीने के अंदर मंदिर ट्रस्ट को लौटाने का निर्देश दिया गया है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की एकलपीठ ने श्री बिहारी जी सेवा ट्रस्ट की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान पारित किया।
कोर्ट ने सभी स्थितियों का अवलोकन करते हुए यह निष्कर्ष निकाला कि भोला खान पठान ने बिना कानूनी प्रक्रिया का पालन किये हुए धोखे से राजस्व अभिलेखों में मंदिर ट्रस्ट की जमीन को कब्रिस्तान के रूप में दर्ज करवा दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने 13 अगस्त 1970 और 30 अक्टूबर 1991 में एसडीएम, छाता द्वारा पारित आदेशों को खारिज कर दिया है। याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि विवादित जमीन को राजस्व अभिलेखों में पहले ग्राम समाज के रूप में और फिर पोखर के रूप में दर्ज करवा दिया गया था।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि बांके बिहारी मंदिर की जमीन को सियासी दबाव में कब्रिस्तान के तौर पर दर्ज कर दिया गया था। तत्कालीन सरकार के आदेश के बाद ही मंदिर की जमीन कब्रिस्तान के नाम दर्ज हो गई थी। मंदिर ट्रस्ट ने इसके खिलाफ कई बार शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
यह मामला वक्फ बोर्ड और दूसरे विभागों तक भी गया। 8 सदस्यीय कमेटी की जांच रिपोर्ट में भी यह साफ हो गया कि जमीन मनमाने तरीके से कब्रिस्तान के रूप में दर्ज की गई। इसके बावजूद जमीन मंदिर ट्रस्ट के नाम वापस नहीं दर्ज की गई। मंदिर ट्रस्ट ने इस पर पिछले साल इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। मालूम हो कि मथुरा की छाता तहसील के शाहपुर गांव के प्लॉट नंबर 1081 से मामला जुड़ा हुआ है।
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