बरेली: दरगाह प्रमुख और सज्जादानशीन का पैगाम, मुल्क की खुशहाली और भाईचारे की अपील

बरेली: दरगाह प्रमुख और सज्जादानशीन का पैगाम, मुल्क की खुशहाली और भाईचारे की अपील

बरेली, अमृत विचार। इस्लामिया मैदान में आयोजित 105वें उर्स-ए-रज़वी के मौके पर दरगाह ए आला हजरत प्रमुख मौलाना सुब्हान रज़ा खान उर्फ सुब्हानी मियां और दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसान रज़ा कादरी उर्फ अहसन मियां ने पूरी दुनियाभर के अकीदतमंदों के नाम पैगाम दिया है। जिसमें कहा कि यह बहुत ही खुशी का समय है कि सभी लोग अपने रूहानी पेशवा आला हज़रत फाजिल-ए-बरेलवी का उर्स मना रहे हैं। जिसने अपनी इल्मी और दीनी सलाहियतों से मुसलमानों में जो जहनी इंकलाब पैदा किया। जिसकी शहादत हमारी पूरी सदी दे रही है। जिन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी इस्लाम और सुन्नियत को फरोग देने में गुज़ार दी। जिन्होंने मुल्क और मिल्लत की ऐसी बेमिसाल खिदमत पेश की है, कि आज बरेली का नाम पूरी दुनिया में रोशन हो रहा है। 

मुल्क की तरक्की और खुशहाली का पैग़ाम
इस मौके पर दुनियाभर के मुसलमान पुर्खों की बातों से अल्लाह की रस्सी को मजबूती से थामे रखेंगे। मसलक-ए-अहले सुन्नत और मसलक आला हज़रत पर सख्ती से कायम रहते हुए हर फर्ज़ और वाजिब को अपने वक्तों पर अदा करते रहेंगे। नमाज़ की पाबंदी, कुरान और हदीस के मुताबिक अपनी ज़िंदगी गुजारेंगे। शरीयत-ए-इस्लामिया और अहले सुन्नत के साथ अपने मुल्क की तरक्की के साथ खुशहाली के लिए काम करेंगे। 

बेटियों को दहेज़ की जगह विरासत में भी हिस्सा दें
वहीं दरगाह के बुजुर्गों ने मुसलमानों को नसीसत देते हुए कहा कि आला हज़रत को दुनियाभर में इल्म की बुनियाद पर पहचाना जा रहा है। इसलिए अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करें और उन्हें आधुनिक शिक्षा के साथ धार्मिक शिक्षा भी दिलाएं। अपने शहर और बस्ती में मदरसों के साथ स्कूल, कॉलेज और हॉस्टल बनवाएं। साथ ही अपने बच्चों पर निगरानी रखें। वहीं बच्चों के बालिग हो जाने पर बेहतर रिश्ता देखकर शादी करा दें। जिससे वह कोई भी गलत कदम उठाने से बचें। साथ ही उन्होंने कहा कि अपनी बेटियों को दहेज़ की जगह विरासत में भी हिस्सा दें। वहीं शादियों में फिजुलखर्ची से बचें और गैर शरई रस्मों से बचते हुए सादगी से निकाह करें।

नौजवान सोशल मीडिया का प्रयोग सावधानी से करें
इस दौरान नौजवानों को नसीहत देते हुए कहा कि वह सोशल मीडिया का प्रयोग सावधानी से करें। क्योंकि वह सभी भड़काऊ पोस्ट करने से बजें। जिससे किसी समुदाय, पंथ या जाति की भावनाओं को ठेस न पहुंचे। उन्होंने आगे कहा कि आला हज़रत का पैग़ाम मोहब्बत है, इस पर कायम रहते हुए गुनाह, झूठ, बुरी संगत से बचें, नशाखोरी, लड़ाई-झगड़े जैसी सामाजिक बुराई से दूर रहकर मोहब्बत और भाईचारा कायम रखें।

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