Power of Mudra: इन मुद्राओं के साथ ध्यान की शक्तियां बढ़ाएं

Power of Mudra: इन मुद्राओं के साथ ध्यान की शक्तियां बढ़ाएं

हल्द्वानी, अमृत विचार। योग में ध्यान करने से अनेक फ़ायदों का प्रचुर उल्लेख किया गया है। ध्यान की शक्ति और भी बढ़ जाती है जब हम उसको हस्त मुद्रा के साथ करते हैं। आप विशेष फायदे की प्राप्ति के लिए विशेष हस्त मुद्रा का प्रयोग कर सकते हैं। हमारी पांच उगलियां पंच भूत का प्रतीक है। हाथों को विशेष मुद्रा में रख के प्राणायाम करने से बहुत सारी बीमारियां ठीक होती है और मानसिक रूप से इंसान मजबूत बनता है। 

 
1. ज्ञान मुद्रा 


उद्देश्य : ज्ञान प्राप्ति के लिए, इसका मुद्रा का अभ्यास उन योगियों को भी करना चाहिए जो, इस भौतिक जगत से खुद को अलग करना चाहते हैं। 

अन्य नाम : वायु वर्धक मुद्रा

हस्त मुद्रा : हाथ की तर्जनी अंगुली को अंगूठे से स्पर्श करवाएं।

ज्ञान मुद्रा के फायदे :

- शरीर में वायु तत्व को बढ़ाता है। 
- जोश, साहस और रचनात्मक सोच को बढ़ाता है। 
- अवचेतन मन की विचार क्षमता और याददाश्त को बढ़ाता है। 
- ये थकान, आलस्य और मानसिक उलझनों से निपटने में बेहद कारगर है।

 

2. वायु मुद्रा

उद्देश्य : शांति पाने के लिए 

अन्य नाम : वायु शामक मुद्रा 

हस्त मुद्रा : तर्जनी का पहला पोर अंगूठे के आखिरी पोर में लगाएं। अंगूठा, तर्जनी अंगुली के ऊपर रहेगा।

वायु मुद्रा के फायदे:

- शरीर में वायु तत्व को कम करता है। 
- शरीर में बेचैनी और चिंता को कम करता है।
- हार्मोन और नर्व्स सिस्टम की अतिसक्रियता को कम करता है।
- गुस्सैल, हाइपरएक्टिव और कम एकाग्रता वालों के लिए अच्छा है।

 

3. आकाश मुद्रा

उद्देश्य : हल्केपन के लिए 

अन्य नाम : आकाश वर्धक मुद्रा

हस्त मुद्रा : मध्यमा अंगुली के पोर को अंगूठे से स्पर्श करवाएं। प्रतिदिन 30 मिनट से अधिक समय तक अभ्यास न करें।

आकाश मुद्रा के फायदे :

- शरीर में आकाश तत्व को बढ़ाता है।
- दिमाग में आने वाले बुरे विचारों से राहत देता है। 
- भय, दुख और क्रोध की भावनाओं को नियंत्रित करता है।
- शरीर में मौजूद अशुद्धियों को डिटॉक्स करता है।
- कब्ज और पाचन संबंधी समस्या वाले लोगों के लिए विशेष लाभदायक।
- कान और सीने से जुड़ी समस्याओं में भी लाभदायक।

 
4. शून्य मुद्रा 

उद्देश्य : दर्द से राहत पाने के लिए

हस्त मुद्रा : मध्यमा अंगुली के पहले पोर को अंगूठे के बेस पर रखें और अंगूठा अंगुली के ऊपर रहेगा। किसी भी किस्म की असुविधा या दर्द अनुभव होने पर शून्य मुद्रा का अभ्यास न करें।

शून्य मुद्रा के फायदे :

- शरीर में अंतरिक्ष तत्व को कम करता है।
- कान में दर्द, सुनने में समस्या, यात्रा की थकान को कम करता है।
- शरीर के कई अंगों जैसे, सिर और सीने में हल्के दर्द को कम करता है।
- वात प्रकृति वाले लोगों के लिए बेहद फायदेमंद।

 
5. पृथ्वी मुद्रा 


उद्देश्य : शक्ति या ताकत बढ़ाने के लिए 

अन्य नाम : पृथ्वी ​वर्धक मुद्रा या अग्नि शामक मुद्रा।

हस्त मुद्रा : अनामिका या रिंग फिंगर को अंगूठे से स्पर्श करवाएं। 

पृथ्वी मुद्रा के फायदे :

- शरीर में पृथ्वी तत्व को बढ़ाती है जबकि अग्नि तत्व को कम करती है।
- नए टिश्यू की ग्रोथ को बढ़ाता है।
- मसल्स बनाने और हीलिंग की प्रक्रिया को तेज करती है।
- थकान से राहत देता है। 
- कमजोर हड्डियों, बाल और नाखूनों को मजबूती देती है।
- शरीर में मजबूती, चैतन्यता और शक्ति का संचार करती है।
- मेटाबॉलिक या पाचन प्रक्रिया और शरीर के तापमान को नियमित करती है। 
ड्राई स्किन की समस्या को दूर करती है। 
- दुबले शरीर वाले लोगों में बुखार, जलन या अल्सर की समस्या को दूर करती है।

 

6. सूर्य मुद्रा 


उद्देश्य : वेट लॉस के लिए 

अन्य नाम : पृथ्वी शामक मुद्रा, अग्नि वर्धक मुद्रा 

हस्त मुद्रा : अनामिका अंगुली को अंगूठे के आखिरी पोर पर रखें और अंगुली के ऊपर अंगूठा रखें। 30 मिनट से अधिक समय तक अभ्यास न करें।

सूर्य मुद्रा के फायदे :

-शरीर में अग्नि तत्व को बढ़ाती है जबकि पृथ्वी तत्व को कम करती है।
-शरीर के तापमान को बढ़ाती है। 
- ठंड से कंपकंपी होने पर राहत देती है। 
- लो थायरॉयड की समस्या वाले लोगों के लिए बेस्ट है।
- वेट लॉस, अपच, कब्ज या भूख न लगने की समस्या को दूर करती है। 
- पसीना न निकलने की समस्या और कमजोर नजर वाले लोगों के लिए फायदेमंद।

 
7. वरुण मुद्रा 

उद्देश्य : नमी के लिए

अन्य नाम : जल वर्धक मुद्रा

हस्त मुद्रा : कनिष्ठिका को अंगूठे के पहले पोर से स्पर्श करवाएं। शरीर से ज्यादा पसीना निकलने की समस्या वाले लोग इस मुद्रा का अभ्यास न करें।

वरुण मुद्रा के फायदे :

- शरीर में जल तत्व को बढ़ावा देने में मदद करती है।
- जोड़ों में दर्द, आर्थराइटिस, शरीर से दुर्गंध निकलना और स्वाद​ न आने की समस्या में मदद करती है।
- हार्मोन की कमी होने या डिहाइड्रेशन की समस्या होने पर राहत देती है।
- ड्राई स्किन, बाल, आंखें, एग्जिमा, पाचन तंत्र की सभी समस्याओं को दूर करती है।

 
8. जल शामक मुद्रा

उद्देश्य : स्थिरता के लिए

अन्य नाम : जल शामक मुद्रा 

हस्त मुद्रा : अनामिका अंगुली के पहले पोर को अंगूठे के बेस पर रखें। अंगूठा पूरी तरह से अंगुली के ऊपर ही रहेगा।

जल शामक मुद्रा के फायदे :

- शरीर में जल तत्व की मात्रा को कम करती है।
- ज्यादा पसीना निकलने, नाक बहने, आंखों से पानी आने में कारगर है।
- हथेलियों से पसीना आने की समस्या में राहत देती है।
- हाइपर एसिडिटी के मरीजों के लिए बेस्ट है।
- ग्रंथियों से हार्मोन के स्राव को कम करती है।