प्रयागराज : अनुकंपा नियुक्ति योजना को पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं दिया जा सकता

प्रयागराज : अनुकंपा नियुक्ति योजना को पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं दिया जा सकता

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में अनुकंपा नियुक्ति के दावे को खारिज करते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति की योजना कर्मचारी की मृत्यु के समय मौजूद नियमों के आधार पर लागू की जानी चाहिए। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि अनुकंपा नियुक्ति रोजगार में समानता के सामान्य नियम का अपवाद है।

कोई कर्मचारी अपनी मृत्यु की तारीख तय नहीं कर सकता। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने अनुकंपा नियुक्ति से संबंधित पिछले कानूनी उदाहरणों का विश्लेषण करते हुए ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, मुरादाबाद के कर्मचारी की पत्नी प्रियंका अग्रवाल के अनुकंपा नियुक्ति के दावे को खारिज करते हुए पारित किया। 

दरअसल ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में प्रियंका अग्रवाल के पति कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे, जिनका निधन 6 सितंबर 2014 को हुआ। उस समय कंपनी के पास अनुकंपा नियुक्तियों के लिए कोई योजना नहीं थी, बल्कि मृत कर्मचारियों के परिवारजनों को मुआवजा प्रदान करने के लिए अनुग्रह भुगतान की एक योजना चलाई जा रही थी। केंद्र सरकार द्वारा 7 अगस्त 2014 को अनुकंपा नियुक्ति के लिए एक नई योजना शुरू की गई। हालांकि योजना के प्रावधान 1 नवंबर 2014 से लागू हुए, जिसके तहत 1 नवंबर या उसके बाद होने वाली मृत्यु की तारीख से 5 साल के भीतर अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन की अनुमति दी गई।

इसी योजना के तहत प्रियंका अग्रवाल ने अपने दिवंगत पति के पद पर अनुकंपा नियुक्ति की मांग करते हुए याचिका दाखिल की। जिस पर सुनवाई करते हुए इसी न्यायालय की एकलपीठ ने 22 फरवरी 2019 को उसके दावे पर कंपनी को पुनर्विचार करने का निर्देश दिया। ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने उपरोक्त फैसले के खिलाफ वर्तमान विशेष अपील में तर्क दिया कि कर्मचारी की मृत्यु के समय अनुकंपा नियुक्ति की कोई योजना नहीं थी। अतः आवेदक ऐसी नियुक्ति की हकदार नहीं है। सभी तर्कों पर विचार करते हुए अंत में न्यायालय ने एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द करते हुए प्रियंका अग्रवाल के दावे को खारिज कर दिया और कंपनी के तर्क को बरकरार रखा कि चूंकि कर्मचारी की मृत्यु के समय अनुकंपा नियुक्ति के लिए कोई योजना मौजूद नहीं थी। अतः उसके दावे पर विचार नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही कंपनी को 30 दिनों के भीतर प्रियंका अग्रवाल को अनुग्रह राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया।

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