बरेली: विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाकर किया बंटवारे के काले दिवस को याद, नकवी ने साधा कांग्रेस पर निशाना

बरेली: विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाकर किया बंटवारे के काले दिवस को याद, नकवी ने साधा कांग्रेस पर निशाना

बरेली, अमृत विचार। 15 अगस्त 1947 में हमारे देश को आजादी मिली थी। आजादी के एक दिन पहले इस विभीषिका को याद करते हुए स्मृति दिवस मनाया गया। जिसके मुख्य अतिथि भारत सरकार के पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी रहे।

सबसे पहले मॉडलटाउन हरि मंदिर चौराहे से खुश्लोक हॉस्पिटल तक मौन यात्रा निकाली गई। इस दौरान पूर्व केंद्रीय कैबिनेट मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि "विभाजन की विभीषिका", कांग्रेस और मुस्लिम लीग की “कम्युनल, क्रिमिनल करतूत का कलंक" है।

कांग्रेस, मुस्लिम लीग की यह "कम्युनल जुगलबंदी" आज भी जारी है, दायरा घटा है पर दिमाग वही है, जमीन बंजर है लेकिन हाँथ में अभी भी "विभाजन का खंजर" है।  "आजादी का जश्न", "विभाजन के ज़ख़्म, जुर्म" के एहसास के बिना अधूरा है। इस "जुर्म, जुल्म की जहरीली जुगलबन्दी के जाल" से आज भी सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा सियासी स्वार्थ के लिए साम्प्रदायिक साज़िश की सूत्रधार "कांग्रेस का नए चोले में पुराना खेला की साजिशी सोच के साथ फिर से उभार", भारतीय संवेदनाओं, सरोकार, सद्भाव पर प्रहार और विभाजन के जख्मों पर नमक छिड़कना होगा।

हमें आजादी के उत्सव के जुनून में विभाजन के उत्पीड़न के जख्म को नहीं भूलना चाहिए, जिसने परिवारों के टुकड़े और मुल्क-मानवता को लहूलुहान किया। इन दौरान कहा  कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के अमृत काल में इतिहास की इस विभीषिका के संदेश- सबक को नई पीढ़ी को याद कराया है। विभाजन की पीड़ा को कभी भुलाया नहीं जा सकता। नफरत और हिंसा के कारण लाखों लोगों का कत्लेआम, मुल्क के टुकड़े हुए।

नकवी ने कहा कि हम "विभाजन की विभीषिका" को भूल कर आजादी के उत्सव में लगे रहे और विभाजन के खलनायकों को नायक बना कर लाखों परिवारों की तड़प और करोड़ों लोगों की त्रासदी को नजरअंदाज करते रहे।

यह दिन हमें भेदभाव, वैमनस्य के जहर को खत्म करने के लिए ना केवल प्रेरित करता है, बल्कि इससे एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाएं भी मजबूत होती हैं। आजादी के बाद पहला मौका है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में कोई गैर-कांग्रेसी सरकार सुशासन, समृद्धि, स्थायित्व के विश्वास और जनप्रिय नेतृत्व व लोकप्रिय नीतियों के सफल सफर के साथ, दुनिया में भारत की धाक-धमक को मजबूत करती अपने दो कार्यकाल पूरे कर तीसरे कार्यकाल की तरफ बढ़ रही है।

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