सिंगापुर में भारतीय मूल के मंत्रियों ने पीएम के भाई को दी मुकदमे की धमकी
सिंगापुर। सिंगापुर में भारतीय मूल के दो वरिष्ठ मंत्रियों ने औपनिवेशिक काल के दो बंगलों के किराये के संबंध में आरोप लगाने पर प्रधानमंत्री ली सीन लूंग के भाई ली सीन यांग के खिलाफ मुकदमा दायर करने की धमकी दी है। कानून और गृह मामलों के मंत्री के षणमुगम और विदेश मामलों के मंत्री विवियन बालकृष्णन ने कहा कि अगर ली सीन यांग ने झूठे आरोप लगाने के लिए माफी नहीं मांगी तो वे मानहानि का मुकदमा दायर करेंगे।
एक फेसबुक पोस्ट में बृहस्पतिवार को षणमुगम ने कहा कि ली यांग ने उन पर और डॉ. बालकृष्णन पर ‘भ्रष्ट तरीके से काम करने और व्यक्तिगत लाभ के लिए सिंगापुर भूमि प्राधिकरण (एसएलए) से मंजूरी लिए बिना पेड़ों को अवैध रूप से काटने और 26 तथा 31 रिडआउट रोड के नवीनीकरण के लिए एसएलए से भुगतान कराने’ का आरोप लगाया है। दोनों मंत्रियों ने ली यांग को पत्र भेजकर अपने आरोप वापस लेने को कहा है। आरोपों में जिन संपत्तियों का जिक्र किया गया है उनमें 26 रिडआउट रोड और 31 रिडआउट रोड शामिल हैं।
रिडआउट पार्क क्षेत्र में करीब 100 साल पुराने दो बंगले हैं, जिन्हें शहरी पुनर्विकास प्राधिकरण द्वारा 39 अच्छी श्रेणी के बंगले वाले क्षेत्रों में से एक नामित किया गया है। 26 रिडआउट रोड बंगले में षणमुगम और 31 रिडआउट रोड बंगले में डॉ बालकृष्णन किराये से रहते हैं। चैनल न्यूज एशिया ने षणमुगम को यह कहते हुए उद्धृत किया है ‘‘हमने उनसे माफी मांगने, अपने आरोप वापस लेने और हर्जाना देने के लिए कहा है, जिसे हम परमार्थ कार्यों के लिए दान कर देंगे।
अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो हम उन पर मुकदमा करेंगे।’’ खबरों के मुताबिक, टेल्को सिंगटेल के सीईओ ली सीन यांग ने रिडआउट रोड मामले पर आठ फेसबुक पोस्ट किए हैं। विभिन्न संस्थानों के बोर्ड में अपनी सेवाएं दे चुके ली सीन यांग के इन आरोपों को षणमुगम ने झूठा बताया है।
रिडआउट रोड बंगलों का मामला पहली बार मई के शुरु में सामने आया था जब विपक्षी राजनेता और रिफॉर्म पार्टी के प्रमुख केनेथ जयरत्नम ने सवाल किया कि क्या रिडआउट रोड के बंगले के लिए मंत्रियों द्वारा दिया जा रहा किराया ‘बाजार मूल्य से बहुत कम’ है। इस मुद्दे पर संसद में तीन जुलाई को चर्चा हुई थी और षणमुगम तथा बालकृष्णन सहित चार मंत्रियों ने जवाब दिया था। ‘‘करप्ट प्रैक्टिसेज इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो’’ (सीपीआईबी) सहित अन्य एजेंसियों की जांच में, दोनों मंत्रियों को कोई खास सुविधा दिए जाने का कोई प्रमाण नहीं पाया गया।
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