बरेली : पुराने संवार नहीं पाए, नए अमृत सरोवर बनाने की तैयारी, कहीं पानी नहीं तो कहीं उग आई हैं झाड़ियां
बिथरी, नवाबगंज, आंवला इलाके में कई अमृत सरोवरों में लगे पौध भी सूख गए
बरेली, अमृत विचार : जल संरक्षण और तालाबों के सौंदर्यीकरण के उद्देश्य से शुरू की गई अमृत सरोवर बनाने की योजना जिले में दम तोड़ रही है। योजना के तहत जिले में 300 तालाब अमृत सरोवर बनाने के लिए पिछले साल चिह्नित किए गए थे। अफसरों का दावा है इनमें 259 अमृत सरोवर बन चुके हैं।
कुछ नए अमृत सरोवर बनाने के लिए तालाब चिह्नित करने की बात कही जा रही है लेकिन पहले से चिह्नित अधिकतर अमृत सरोवर अधूरे पड़े हैं। कहीं तालाबों में पानी नहीं तो हैं कहीं सूखने से घास उग आई है। फतेहगंज पश्चिमी, बिथरी, नवाबगंज, आंवला ब्लॉक के कई गांवों में तो तालाबों की खोदाई कराने के बाद किसी ने मुड़कर भी नहीं देखा।
न इंटरलाॅकिंग हुई न पौधे रोपे गए। सिटीजन इंफॉर्मेशन बोर्ड और झंडारोहण के लिए स्तंभ बनाने का काम भी नहीं हो पाया, जबकि तालाबों की खोदाई से लेकर बैठने के लिए बैंच, फुटपाथ, आउटलेट, पथ प्रकाश व्यवस्था और पौधरोपण किया जाना था।
एक अमृत सरोवर पर 10 लाख तक खर्च: जिले में जिन 259 तालाबों को अमृत सरोवर बनाने की बात कही जा रही है, उन पर सात से दस लाख रुपये तक खर्च किए गए। पंचायती राज विभाग की ओर से यहां ध्वजारोहण के लिए झंडा स्थल, बैठने के लिए बेंच लगवाने जैसे काम कराए जाने हैं, जबकि तालाब की खोदाई के लिए मनरेगा श्रमिकों को लगाया गया था। योजना की नाकामी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है तत्कालीन डीसी मनरेगा ने कई बार बीडीओ को नोटिस जारी किए थे लेकिन अब भी कई अमृत सरोवर अधूरे ही पड़े हैं।
मैंने कुछ दिन पहले ही चार्ज संभाला है। जिन जगहों पर अमृत सरोवर का निर्माण अधूरा है। संबंधित बीडीओ से इसकी जानकारी लेने के बाद वहां काम जल्द पूरा कराया जाएगा।- हबीब अंसारी, डीसी मनरेगा
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