पंचायती राज विभाग: बिना उगाही नहीं होता कोई काम

बरेली, अमृत विचार। प्रधानमंत्री आवास का मामला हो या शौचालय निर्माण में करोड़ों की गड़बड़ी आदि का। यह मामले अक्सर सामने आते हैं। लेकिन इन दिनों पेंशन बनवाने, वेतन स्लिप, सफाई कर्मियों के स्थानांतरण में खूब उगाही की जा रही है। पंचायती राज विभाग भ्रष्टाचार के इन मुद्दों को लेकर चर्चा का केंद्र बना है। …
बरेली, अमृत विचार। प्रधानमंत्री आवास का मामला हो या शौचालय निर्माण में करोड़ों की गड़बड़ी आदि का। यह मामले अक्सर सामने आते हैं। लेकिन इन दिनों पेंशन बनवाने, वेतन स्लिप, सफाई कर्मियों के स्थानांतरण में खूब उगाही की जा रही है। पंचायती राज विभाग भ्रष्टाचार के इन मुद्दों को लेकर चर्चा का केंद्र बना है। हालांकि विभाग से जुड़ा मामला होने के कारण कर्मचारी अफसरों की शिकायत करने से कतरा रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता मिशन के तहत कराई जाने वाली सफाई व्यवस्था व विकास कार्यों के लिए भेजे गए घन का बंदरबांट करने की शिकायत आए दिन की जाती है। इन शिकायतों को जहां जिम्मेदार कूड़े के ढेर में फेक देते हैं। वहीं सुविधा शुल्क लेकर लिपिकों का मलाईदार पटल देने व सचिवों को उनकी मनचाही ग्राम पंचायत में तैनाती का खेल भी लंबे समय से चल रहा है। कई सफाई कर्मी बाबूगिरी का काम कर रहे हैं।
इन सब अनैतिकताओं का कोई पुरसाहाल नहीं है। विभाग के सूत्र बतातें है कि प्रधान और सचिव के पटल का चार्ज भी मोटी धन उगाही के खातिर अनैतिक रूप से दे दिया जाता है। विभाग में एक महत्वपूर्ण पद पर कार्यभार संभाला कर्मचारी तो पूर्व में गड़बड़ी के मामले में जेल तक जा चुका है। कुल मिलाकर जिम्मेदार अधिकारी अंधेर नगरी और चौपट राजा की कहानी को चरितार्थ करते दिखाई दे रहे है।
सफाई कर्मचारी संघ भी कई बार ग्राम पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार के आरोप की शिकायतें बतौर प्रमाण सहित मुख्यमंत्री से कर चुका हैं, मगर भ्रष्टाचार की जड़ें ऊपर तक इतनी गंभीर रूप से फैल चुकी है कि कार्यवाही होना मुमकिन ही नहीं बल्कि नामुकिन भी है।
कुछ इस तरह वसूली का चल रहा खेल
विभाग से संबंधित कार्य के लिए विकास भवन पहुंचे एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ने बताया कि पंचायती राज विभाग से जुड़ा कोई भी कार्य हो, लिपिक बिना पैसे लिये कोई काम नहीं करता है। वेतन स्लिप के नाम पर एक हजार रुपये की मांग की जाती है। इसके तरह किसी सफाई कर्मचारी का स्थानांतरण कराना हो तो 10 से 15 हजार मांगे जाते हैं। रिटायरमेंट की पेंशन भी बिना उगाही नहीं बनती।
प्रधान-सचिवों की शिकायत पर काट रहे मौज
पंचायत चुनाव के नजदीके आते ही ग्राम प्रधानों की शिकायतों का दौर बढ़ा गया है। इनसे संबंधित अधिकांश शिकायतें जांच किये बिना ही मुख्यालय स्तर पर संबंधित पटल देखने वाले कर्मचारियों के द्वारा मेनैज की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ कई मामले ऐसे भी हैं आरोप सिद्ध होने पर भी उनमें प्रधान-सचिवों पर कार्रवाई नहीं हुई। इनकी फाइलें सुविधा शुल्क लेकर दबा दी गईं हैं।
“मेरे संज्ञान में इस तरह का कोई मामला नहीं है। इससे संबंधित यदि कोई शिकायत मिलती है तो निश्चित ही जांच कराई जाएगी। ग्राम पंचायतों से संबंधित शिकायतों पर जांच उपरांत कार्रवाई हो रही है।”-धर्मेंद्र कुमार, डीपीआरओ