Shatru Sampatti: मेट्रोपोल अतिक्रमणकारियों को हाईकोर्ट से फिलहाल कोई राहत नहीं ….

नैनीताल, अमृत विचार। उत्तराखंड उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में वी.सी.के माध्यम से वरिष्ठ अधिवक्ता बी.पी.नौटियाल ने अपना पक्ष रखा। इसके अलावा याची के ही दूसरे अधिवक्ता जितेंद्र चौधरी ने न्यायालय में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर जिरह की।
मामले की सुनवाई दोपहर लंच से पूर्व लगभग 12:06 बजे शुरू हुई। शत्रु सम्पत्ति मैट्रोपोल मामले में सुनवाई के बाद खंडपीठ ने याचिकाकर्ता और अन्य कब्जेदारों से कहा कि वो एक अंडरटेकिंग देकर ये कहें कि वो दस दिनों के भीतर अतिक्रमण हटा देंगे नहीं तो न्यायालय अपना आदेश सुनाएगा।
मामले के अनुसार याचिकाकर्ता महमूद अली व अन्य ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर प्रार्थना की थी कि उनके मकान ध्वस्तीकरण पर रोक लगाई जाए। उन्होंने कहा कि एसडीएम ने उन्हें नोटिस जारी कर उनका पक्ष सुना और उन्हें जमीन खाली कर जाने को कहा। वो सौ वर्षों से उस भूमि में काबिज हैं और अब कहां जाएं ?
वरिष्ठ अधिवक्ता बीपी नौटियाल और अधिवक्ता जितेंद्र चौधरी ने न्यायालय को शत्रु सम्पत्ति अधिनियम के बारे में बताते हुए आपना पक्ष रखा। वरिष्ठ अधिवक्ता नौटियाल ने कहा कि मैट्रोपोल की शत्रु सम्पत्ति में कब्जेदार हिंदुस्तानी ही हैं। उन्होंने पब्लिक प्रेमिसिस एक्ट(पी.पी.एक्ट.), शत्रु सम्पत्ति एक्ट और रूल ऑफ लॉ पर अपनी बात रखी।
महाधिवक्ता एस.एन.बाबुलकर ने कहा कि मेट्रोपोल कंपाउंड में सभी अवैध कब्जेदार हैं। यहां 134 लोग चिन्हित हुए हैं। महाधिवक्ता और सीएससी चंद्रशेखर सिंह रावत ने सरकार का पक्ष प्रभावशाली ढंग से रखा। बताया कि वर्ष 2010 में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद शत्रु सम्पत्ति का कब्जा प्रशासन ने ले लिया था। तब वहां कुल 116 आवासीय भवन चिन्हित हुए थे।