कानपुर : मेडिकल छात्रा पाखी की मौत के मामले में प्राचार्य तलब

कानपुर : मेडिकल छात्रा पाखी की मौत के मामले में प्राचार्य तलब

अमृत विचार, कानपुर । स्वाइन फ्लू से मेडिकल छात्रा पाखी की मौत का मामला एक बार फिर से गरमाने लगा है। गुरुवार को छात्रा की मौत के मामले में स्टेट मेडिको लीगल सेल की टीम ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य व अन्य डॉक्टरों से करीब एक घंटा पूछताछ की। गर्ल्स हॉस्टल व हैलट आईसीयू का निरीक्षण किया। इसके बाद टीम ने प्राचार्य से आठ बिंदुओं पर रिपोर्ट तलब की, जिसका जवाब प्राचार्य को एक सप्ताह में देना है।

बाराबंकी निवासी मेडिकल छात्रा पाखी को 22 सितंबर 2022 को हल्का बुखार आया था और उसके बाद 25 सितंबर को उल्टियां होने पर रात को उसे हैलट इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान 11 अक्टूबर 2022 को उसकी मौत हो गई। इसकी जानकारी करने के लिए गुरुवार को स्टेट मेडिकोलीगल सेल के संयुक्त निदेशक डॉ. कीर्ति वर्धन सिंह और अपर निदेशक डॉ. गयाशुद्दीन खान जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज पहुंचे।

यहां पर टीम ने कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला, उप प्रचार्य डॉ. रिचा गिरी व अन्य डॉक्टरों से काफी देर पूछताछ की। इसके बाद मेडिकोलीगल टीम ने यूजी गर्ल्स हॉस्टल का निरीक्षण किया। यहां पर सबसे पहले किचन, बाथरूम, हॉल व पूरा परिसर देखा। डस्टबीन कब लगाए गए आदि के बारे में जानकारी ली, जिस कमरे में पाखी को रखा गया था संयुक्त निदेशक ने वहां का भी जायजा लिया। कमरा नंबर 28 में मौजूद पाखी की दो रूममेट से पूछताछ के दौरान कमरे के सफाई, पाखी की हालत कब-कब व कैसे बिगड़ी, गंदगी व दुर्गध और पाखी के व्यवहार के बारे में जानकारी ली। इसके बाद हैलट आईसीयू के जिस बेड में छात्रा भर्ती थी, वहां की स्थिति देखी।

संयुक्त निदेशक डॉ. कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि पूछताछ के दौरान जीएसवीएम मेडकिल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने जवाब संतुष्ट पूर्वक नहीं दिए है। उनसे आठ बिदुओं पर रिपोर्ट तलब की गई है, जिनके जवाब प्राचार्य को एक सप्ताह में देने हैं। अगर मेडिकल छात्रा की मौत किसी अन्य वजह से हुई तो संबंधित पर जांच के बाद कार्रवाई होगी।

यह रहे मुख्य बिंदु

संयुक्त निदेशक डॉ. कीर्ति वर्धन सिंह ने बताया कि हॉस्टल के आसपास गंदगी, छात्रा को किसी तरह का इलाज मिला, कौन-कौन सी दवाएं दी गई और क्या जांच हुई आदि बिंदु शामिल हैं। छात्रा ने किस मर्ज के मरीज देखे, उसको स्वाइन फ्लू किस वजह से हुआ यह भी जांच में पता चल सकेगा। मेडिकल छात्रा का इलाज करने वाले डॉक्टरों से जानकारी मांगी जाएगी। क्योंकि एक एमबीबीएस डॉक्टर में सरकार का काफी पैसा खर्च होता है। मामले में लापरवाही पाई जाने पर संबंधित पर कार्रवाई होगी। 

ये था पूरा मामला

पाखी जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस तृतीय वर्ष की छात्रा थी। वह यूजी गर्ल्स कॉलेज के कमरा नंबर 28 में रहती थी। छात्रा को 22 सितंबर 2022 को हल्का बुखार आया था और उसके बाद 25 सितंबर को उल्टियां होने पर रात को उसे हैलट इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था। इसके बाद हालत बिगड़ने पर वो कोमा में चली गई थी। उसके मस्तिष्क में सूजन (एक्यूट नैक्रोटाइजिंग इंसेफ्लाइटिस) के साथ ही दोनों फेफड़ों में निमोनिया हो गया था। साथ ही अंदरूनी अंगों ने काम करना बंद होने लगा था और हार्ट फेल हो गया था। छात्रा का इलाज डॉ. बीपी प्रियदर्शी के अंडर में चल रहा था। इसके बाद न्यूरोलॉजिस्ट और फिजीशियन डॉक्टरों की टीम इलाज में लगी थी। दिन प्रतिदिन हालत खराब होने के बाद उसने 11 अक्टूबर को दम तोड़ दिया था।

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